तिहाड़ जेल में रह चुके हैं JNU स्टूडेंट अभिजीत बनर्जी जिन्हे मिला अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार

Abhijit Banerjee with wife

अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अमेरिकी अर्थशास्‍त्री अभिजीत विनायक बनर्जी आज भले भारत के नागरिक नहीं हों लेकिन वह मूलतह भारतीय ही है गरीबी पर शोध की वजह से अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार पाने वाले अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 को मुंबई में हुआ और उनकी पढ़ाई लिखाई पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुई।

उनके माता-पिता निर्मला और दीपक बनर्जी, इस देश के जाने माने अर्थशास्त्री रहे हैं।उनकी मां निर्मला सेंटर फॉर स्‍टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्‍त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं, जबकि पिता दीपक कलकत्ता के प्रसिडेंट कॉलेज में अर्थशास्‍त्र विभाग के अध्‍यक्ष थे।

Abhijit banerjee

अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता में ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली। कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से ही उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 1983 में अभिजीत ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सटी (JNU )से इकोनॉमिक्स में एमए किया। इसके बाद अभिजीत ने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

ये जानना दिलचस्प होगा कि जिस व्यक्ति को अर्थशास्त्र में नोबेल मिला है वो पहले फिजिक्स यानी भौतिक विज्ञान की पढ़ाई करना चाहता था। लेकिन प्रयोगशाला में छोटे-छोटे प्रयोग पसंद नहीं आए तो उसने सांख्यिकी पढ़ने का फैसला किया। इसके लिए उसने बाकायदा एक कालेज में दाखिला भी ले लिया।

लेकिन घर से कॉलेज की दूरी ज्यादा होने की वजह से उन्हें दूसरी एक्टिविटी के लिए टाइम नहीं मिल पता था इसलिए बाद में अभिजीत ने प्रेसीडेंसी कालेज में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई करने का फैसला किया।

हलाकि कहावत है ना “पूत के पाँव पालने में ही नज़र आने लगते है” वैसे ही अभिजीत को भी बचपन से ही गरीबी परेशान करती थी।स्कूल में पढ़ाई के दौरान अभिजीत अपने घर के पास बनी बस्ती के बच्चों के साथ खेलते थे। ग़रीबी की वजह से वह बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे. ये देख कर अभिजीत के दिल में टीस उठती थी और वह अपने माता-पिता के साथ इस बात पर अक्सर चर्चा करते थे।शायद बचपन के इन्ही सवालो के जवाब तलाशने की बेचैनी ने ही अभिजीत को नोबेल तक पहुंचाया है।अभिजीत अभी मैसाच्युसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेकभनोलॉजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

Abhijit Banerjee Nobel prize

अभिजीत ने फरवरी 2016 में लिखे एक लेख में बताया था कि उन्हें 10 दिन तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था। उन्होंने लिखा था, “ये 1983 की गर्मियों की बात है. हम जेएनयू के छात्रों ने वाइस चांसलर का घेराव किया था. वे उस वक्त हमारे स्टुडेंट यूनियन के अध्यक्ष को कैंपस से निष्कासित करना चाहते थे. घेराव प्रदर्शन के दौरान देश में कांग्रेस की सरकार थी पुलिस आकर सैकड़ों छात्रों को उठाकर ले गई. हमें दस दिन तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था, पिटाई भी हुई थी. लेकिन तब राजद्रोह जैसा मुकदमा नहीं होता था. हत्या की कोशिश के आरोप लगे थे. दस दिन जेल में रहना पड़ा था।”

अभिजीत बनर्जी ने एमआइटी में साहित्य की लैक्चरार अरुंधति तुली से शादी की। दोनों का एक बेटा कबीर बनर्जी था जिसकी 2016 में डेथ हो गयी। अभिजीत और अरुंधति का बाद में उनका तलाक हो गया। इसके बाद अभ‍िजीत ने साल 2015 में अर्थशास्‍त्री एस्थर डुफ्लो के साथ विवाह किया। अभिजीत के साथ एस्‍थर को भी संयुक्‍त रूप से इस बार अर्थशास्‍त्र का नोबेल पुरस्‍कार दिया गया है। अभिजीत की पत्नी एस्थर डुफ्लो फ्रांसीसी-अमेरिकी हैं। उन्होंने 1999 में एमआईटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। डुफ्लो भी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रोफेसर हैं।

अभिजीत बनर्जी समय समय पर मोदी सरकार की नीतियों की ख़ूब आलोचना कर चुके हैं. इसके साथ ही वे विपक्षी कांग्रेस पार्टी की मुख्य चुनावी अभियान न्याय योजना का खाका भी तैयार कर चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी उन्होंने पुरस्कार जीतने की बधाई दी है।