इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 6 और 7 सितंबर को है। गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर को और वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। यह पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन लोग उपवास रखने के साथ भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को दही-दूध और मक्खन विशेष पसंद है, इसलिए इस दिन दही का चरणामृत बनाकर लोगों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। वहीं यदि आप भी कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाने जा रहे हैं, तो पूजा में कुछ सामग्री को जरूर शामिल करना चाहिए। ये है पूजा सामग्री की पूरी सूची.
धूप बत्ती, अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत 5, कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे, तुलसीमाला, खड़ा धनिया, सप्तमृत्तिका, सप्तधान, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, छोटी इलायची, लौंग मौली, इत्र की शीशी, सिंहासन, बाजोट या झूला (चौकी, आसन), पंच पल्लव, पंचामृत, केले के पत्ते, औषधि, श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर, गणेशजी की तस्वीर, अम्बिका जी की तस्वीर, भगवान के वस्त्र, गणेशजी को अर्पित करने के लिए वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने के लिए वस्त्र, जल कलश, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा, पंच रत्न, दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, बन्दनवार, ताम्बूल, नारियल, चावल, गेहूं, गुलाब और लाल कमल के फूल, दूर्वा, अर्घ्य पात्र आदि। के वास्तविकता को बनाए रखने के लिए योग्य उत्पादों की खरीददारी करें।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का पूजन – जानिए इस पर्व के महत्व और व्रत के विधान। इस विशेष दिन, सुबह स्नान करके देवताओं को नमस्कार करें और व्रत का संकल्प लें। मध्यान्ह के समय, देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाने के बाद शुभ कलश स्थापित करें। इस दिन माता देवकी जी की मूर्ति के साथ भगवान श्रीकृष्ण का आदर करें। इस व्रत को रात में बारह बजे के बाद ही खोलें और फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा खाएं।
* हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे।
* श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा।
* ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे। सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
* ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय।
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से आरंभ हो रही है, जबकि इसका समापन अगले दिन, 7 सितंबर 2023, शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। इसलिए इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 6 सितंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा, जो कि मध्य रात्रि को आयोजित किया जाता है।
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