क्या है सेंसर बोर्ड और कैसे मिलता है किसी फिल्म को सर्टिफिकेट,फिल्म सर्टिफिकेट कितने प्रकार के होते है
फिल्में देखना तो सभी को पसन्द है, लेकिन क्या अपने कभी ये सोचा है की बार बार फिल्मों को सेंसर बोर्ड के पास क्यों भेजा जाता है और क्या होता है, सेंसर बोर्ड और कैसे पता चलता है कौनसी फिल्म कौनसी कैटेगरी की है। और फिल्म शुरू होने से पहले दिखाएं जाने वाला सर्टिफिकेट क्या है। आइए जानते है इन सभी सवालों के जवाब
क्या है सेंसर बोर्ड
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) जिसे सेंसर बोर्ड कहा जाता है, यह एक संवैधानिक संस्था है जो मिनिस्ट्री ऑफ इन्फोर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी के अंडर में आती है।इसका काम है, भारत में बनने वाली फिल्मों को रिलीज से पहले देखना और उसके कंटेंट के हिसाब से सर्टिफिकेट देना है।यह सर्टिफिकेट सिनेमैटोग्राफी एक्ट 1952 के तहत आने वाले प्रावधानों के अनुसार दीया जाता है। इसके चेयर मैन और मेंबर्स को भारत सरकार अपॉइंट करती है। भारत में बनने वाली हर फ़िल्म को को इसके मेंबर्स देखते है।
कैसे दिया जाता है फिल्मों को सर्टिफिकेट
एक फिल्म को सर्टिफिकेट देने के लिए बोर्ड के पास 68 दिन होते है।सबसे पहले फिल्म के एप्लीकेशन को चेक किया जाता है। जिसमें 7 दिन का टाइम लगता है। उसके बाद चैकिंग कमिटी उसे 15 दिन में चेक करती है।उसके बाद कमिटी उसे सेंसर बोर्ड के चेयर मैन के पास भेजती है। इसमें 10 दिन का टाइम लगता है।इसके बाद 36 दिनों में बोर्ड अध्यक्ष फिल्म में गलत चीजों और कट लगाने के बारे में बताता है। और उसके बाद सर्टिफिकेट दिया जाता है।
कितने टाइप के फिल्म सर्टिफिकेट होते हैं।
फिल्म सर्टिफिकेट कई 5 प्रकार के होते है।
जिस फिल्म के सर्टिफिकेट में Uलिखा हो तो उसका मतलब होता है अनरिस्ट्रिक्टेड पब्लिक एक्जीबिशन। इसका मतलब यह है कि इस फिल्म को कोई भी एज ग्रूप के लोग देख सकते हैं और इसमें किसी भी तरह के आपत्तिजनक सीन नहीं हैं।
U/A Certificate
U/A सर्टिफिकेट का मतलब होता है यह फिल्म सभी एज ग्रुप के लोगों के लिए बनी है,लेकिन बच्चे इसे अपने पेरेंट्स के साथ ही देख सकते हैं।इस तरह की फिल्मों के कुछ सीन थोड़े एडल्ट हो सकते हैं ।
A सर्टिफिकेट
इस तरह की फिल्में सिर्फ वयस्कों को दिखाई जा सकती हैं. आमतौर पर बोल्ड सीन्स या एडल्ट कॉमेडी वाली फिल्मों को इस तरह के सर्टिफिकेट दिए जाते हैं।
S सर्टिफिकेट
इस तरह का सर्टिफिकेट स्पेशल ऑडियंस के लिए दिया जाता है. यानि यदि किसी फिल्म को सिर्फ डॉक्टर्स या सेना के जवानों को दिखाया जा सकता है तो उसे यह सर्टिफिकेट दिया जाएगा.