ग्रहो की स्थति से उनसे होने वाले रोग और उनसे उपाय

सूर्य की विषम स्थितियाँ जब भी सूर्य नीच का या पाप ग्रहों से संबंधित अथवा शत्रु स्थान में स्थित होता है तो उस समय अति कष्टदायक सिद्ध होता है और अनेक रोगों का कारण होता है | सूर्य को अन्य विषम स्थितियों इस प्रकार हो सकती है- सूर्य के प्रभाव से होने वाले रोग जब सूर्य रोग कारक होता है तो वह निम्नलिखित रोगों की संभावना होती है पित्त, उष्णज्वर, शरीर में जलन, हृदय रोग, नेत्र रोग, चर्म रोग, रक्ताल्पत्ता, पीलिया, लीवर, हैजा, शिरोवरण, विषज व्याधियाँ,दाहज्वर, आदि | चंद्रमा की…

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आखिर क्यों 16 श्राद्ध के अंतिम दिन सभी का श्राद्ध करते हैं ?

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की विदाई की जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को ही सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण भी लग रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कब है सर्वपितृ अमावस्या, इसका महत्व और क्या हम इस दिन श्राद्ध कर्म के कार्य कर सकते हैं। सर्वपितृ अमावस्या की कथा(Story of Sarvpitri Amavasya) यह माना जाता है कि देवताओं के पितृगण ‘अग्निष्वात्त’ है जो सोमनाथ में…

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शिल्पा शेट्टी से लेकर रूपालीं गंगुली तक, कौन-कौन सी एक्ट्रेस नवरात्रि में कन्या पूजन कराती हैं

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नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है। माना जाता है कि अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का महत्व और बढ़ जाता है। इन दिनों कन्याओं को पूजन कर उन्हें भोजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शास्त्रों में बताया गया कि माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन करना बहुत ही शुभ माना गया है। कन्याओं की पूजन करने से माता मां दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है। हमारे बॉलीबुड स्टार भी नवरात्रि में कन्याओं…

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तिरुपति से लेकर कृष्ण मंदिर तक, किन मंदिरो का प्रसाद जरूर खाना चाहिए

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सनातन धर्म में जितना महत्व भगवान की पूजा का होता है। उतना ही महत्व पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का भी होता है। पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद यदि प्रसाद नहीं लेते हैं, तो पूजा अधूरी मानी जाती है। और उसका फल भी नहीं मिलता है।प्रसाद को देवता की कृपा और आशीर्वाद के रूप में माना जाता है, और इसे ग्रहण करने से भक्त देवता की दिव्यता और उनकी कृपा का हिस्सा बन जाते हैं। भारत में कई ऐसे मंदिर जहां का प्रसाद सबसे पवित्र माना जाता…

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विश्वकर्मा पूजा 2024: शुभ मुहूर्त, कथा, पूजा विधि

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सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। उन्हें सृष्टि के प्रथम शिल्पकार और निर्माणकर्ता के रूप में पूजा जाता है। हर साल कन्या संक्रांति के दिन, भगवान विश्वकर्मा की जयंती का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि व्यवसायिक और आर्थिक क्षेत्र में भी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। विश्वकर्मा पूजा कथा (Vishwakarma Puja Katha) पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु प्रकट का अवतरण…

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पितृ पक्ष पूजा 2024: महत्व, कथा, विधि

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भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष भी शुरू हो जाता है। श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष भी कहा जाता है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का महीना पितरों की आत्मा को तृप्त करने के लिए होता है। इस माह में पितरों को याद किया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होने वाले पितृ पक्ष में पितरों को श्राद्ध और पिंडदान करने से परिवार में सुख समृद्वि और शांति आती है। इस वर्ष पितृ पक्ष…

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जैन धर्म के अनुसार अंनत चतुर्दशी व्रत कथा

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जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखा जाता है। इस दिन या तो निर्जल व्रत रखते हैं या फिर एक समय ही पानी पीने का नियम होता है।अनंत चतुर्दशी के दिन जैन धर्म के अनुयायी सफेद लाडू यानी कि सफेद लड्डू बनाते हैं और उन्हीं का भोग तीर्थंकरों को चढ़ाया जाता है।खास बात यह है कि जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी का व्रत पाच दिन में पूर्ण होता है। पांच दिन के पांच अलग-अलग कर्म करने का विधान है। अनन्त चतुर्दशी जैन व्रत की कथा(Story of Anant Chaturdashi…

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गणपति विसर्जन 2024: शुभ मुहूर्त, विधि

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सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का व्रत बहुत ही खास माना जाता है. अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. लेकिन, इसी दिन गणेश जी का विर्सजन भी होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी. अनंत चतुर्दशी की पूजा के पश्चात इस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है. सूत्र कपास या रेशम…

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सुगंध दशमी व्रत: महत्व, कथा, पूजा विधि

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दिगंबर जैन की मान्यताओं में सुगंध दशमी व्रत का काफी महत्व है और स्त्रियाँ हर वर्ष इस व्रत को करती हैं। धार्मिक व्रत को विधिपूर्वक करने से अशुभ कर्मों का क्षय, शुभास्रव और पुण्यबंध होता है तथा स्वर्ग मोक्ष की प्राप्ति होती है।सुगंध दशमी व्रत भी वैसा ही है। साथ ही सांसारिक दृष्टि से उत्तम शरीर प्राप्त होना भी इसका व्रतफल बताया गया है।यह व्रत भाद्रपद शुक्ला दशमी को किया जाता है। इसे सुगंध दशमी के अलावा धूप दशमी भी कहा जाता है। इस दिन सभी जैन स्त्री व पुरुष…

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