हिन्दू पंचांग के पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है.हिंदू धर्म में पौष माह की पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है. ज्योतिष शास्त्र में पौष माह को सूर्य देव का माह कहा जाता है. कहा जाता है की इस माह में सूर्य देव की पूजा से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है. पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा का अद्भुत संगम होता है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने से जीवन में आने वाली सारी बाधाएं दूर होती हैं. पौष पूर्णिमा 25 जनवरी गुरुवार को है. उस दिन गुरु पुष्य योग बन रहा है.
पौष पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष योग बनते हैं, जो ध्यान, पूजा, और साधना के लिए अद्भुत होते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन का योग होता है “गुरुपुत्र योग”। इस दिन कुछ विशेष क्रियाएँ करने से आप अध्यात्मिक और मानवीय विकास की दिशा में प्रगति कर सकते हैं।
सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण का योग: इस दिन सूर्य और चन्द्र ग्रहण नहीं होता है, जिससे गुरुपुत्र योग बनता है। यह एक अद्वितीय समय है जब चन्द्रमा गुरु ग्रह के साथ होता है और इससे अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है। पौष पूर्णिमा का स्नान-दान सूर्योदय के समय से होता है, उस समय पर पौष पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए. वहीं पौष पूर्णिमा का व्रत उस दिन रखते हैं, जिस दिन पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा दिखाई देता है.
पूजा और ध्यान:
इस दिन गुरुपुत्र योग का लाभ उठाने के लिए विशेष रूप से गुरु और चंद्रमा की पूजा और ध्यान करें।
मन्त्र जप:
गुरुपुत्र योग दिन में मन्त्र जप करने के लिए अच्छा है, विशेषकर गुरु मंत्रों का जाप करें।
दान:
इस दिन दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है, खासकर गुरु को दान देना अत्यंत पुण्यकर होता है।
सत्संग:
सत्संग और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेना भी इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बना सकता है।
रवि योग: सुबह 07:13 बजे से सुबह 08:16 बजे तक
गुरु पुष्य योग: सुबह 08:16 से 26 जनवरी को सुबह 07:12 तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 08:16 बजे से अगले दिन सुबह 07:12 बजे तक.
प्रीति योग: सुबह 07:32 से पूरी रात तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
सूर्योदय:सुबह 07:13
सूर्यास्त: शाम 05:54
चन्द्रोदय:सुबह 05:29
चन्द्रास्त: चन्द्रास्त नहीं
भद्रा: सुबह 07:13 से रात 10:33 तक
भद्रा का वास: पृथ्वी लोक पर
राहुकाल: दोपहर 01:54 से दोपहर 03:14 तक
इन क्रियाओं को अनुसरण करके आप अपनी आध्यात्मिक और शारीरिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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