पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘पौष पुत्रदा एकादशी’ कहा जाता है जिसे हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना गया है। पौष व्रत पौष मास में आने वाली एकादशी तिथि को मनाया जाता है और इसे पुत्रदा एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना कि जाती है. पुत्रदा एकादशी का व्रत एक साल में दो बार किया जाता है। पहला व्रत पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है, तो वहीं दूसरा व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।व्यक्ति को इस व्रत से कई प्रकार के लाभ होते हैं . आइए जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी कब है , कैसे मनाये क्या करें क्या न करें .
पौत्रदा वर्णन:
इस एकादशी को ‘पौत्रदा’ कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु से दिव्य पुत्र मांगने वाले राजा सुहृद के कथा का वर्णन है।
पौष मास का महत्व:
पौष मास हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण मास माना जाता है और इसमें धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत से भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा बनी रहती है जिससे व्यक्ति को जीवन में कई दुखों से छुटकारा मिल जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत करने के लाभ।
व्रत का फल:
इस एकादशी का व्रत करने से कहा जाता है कि यह पुत्र सन्तान प्राप्ति में सहायक होता है और व्यक्ति को अच्छे संतान की प्राप्ति होती है।
ऐसा माना जाता है कि पौष महीने की पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन भी खुशहाल बना रहता है।
व्रत के लाभ:
इस व्रत से विष्णु जी की कृपा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी .ऐसा भी माना जाता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वाले साधक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। विष्णु जी को समर्पित इस एकादशी व्रत से व्यक्ति के पापों का भी नाश होता है।
स्नान:
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और स्नान के पानी में गंगाजल डालकर स्नान-ध्यान करें। उसके बाद व्रत संकल्प लें और पीले रंग के नए वस्त्र धारण करें। उसके बाद सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दें।
नियमित पूजा-अर्चना:
व्रती को विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए, जिसमें तुलसी के पत्ते, फल, और सुपारी अर्पित करें. उन्हें पीले रंग के फूल, मिठाई अर्पित करें।ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ करता है और भगवान श्रीहरि की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी हो सकती है। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ भी करें। साथ ही आरती कर भगवान से सुख-समृद्धि और पुत्र प्राप्ति की कामना करें।
निराहार व्रत:
संध्या के समय फिर से आरती करें और फलाहार खाएं। कुछ व्रती इस दिन निराहार रहते हैं और एक ही बार मीठा और फल भोजन करते हैं।
भगवद गीता पाठ:
कुछ व्यक्ति इस दिन भगवद गीता का पाठ करते हैं और धार्मिक ग्रंथों का सांग्रहित सुनते हैं। एकादशी तिथि के दिन जागरण करने का विधान है। इसलिए रात में कम से कम एक प्रहर भगवान विष्णु का ध्यान करें और अगले दिन स्नान करके पूजा-पाठ करें और व्रत खोलें। साथ ही जरूरतमंदों को दान जरूर करें। इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 20 जनवरी 2024, शाम 07 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन रात्रि 21 जनवरी 07 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी, रविवार के दिन मनाई जाएगी। साथ ही 22 जनवरी, सोमवार के दिन पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।
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