सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। उन्हें सृष्टि के प्रथम शिल्पकार और निर्माणकर्ता के रूप में पूजा जाता है। हर साल कन्या संक्रांति के दिन, भगवान विश्वकर्मा की जयंती का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि व्यवसायिक और आर्थिक क्षेत्र में भी विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के प्रारंभ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु प्रकट का अवतरण हुआ। श्रीहरि की नाभि से कमल निकला था। इस कमल से ब्रह्मा जी चार प्रकट हुए थे। ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तुदेव थे। वास्तुदेव, धर्म की वस्तु नामक स्त्री से जन्मे सातवें पुत्र थे। इनकी पत्नी का नाम अंगिरसी था। अंगिरसी ने पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम ऋषि विश्वकर्मा था। ऋषि विश्वकर्मा वास्तुकला के आचार्य बनें। उनके पिता को वास्तुकला का ज्ञान था। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी, इंद्र का व्रज और सोने की लंका का निर्माण किया था।
विश्वकर्मा पूजा 2024 डेट व शुभ मुहूर्त(Vishwakarma Puja Muhurat)
भगवान विश्वकर्मा की पूजा 17 सितंबर को होगी। पूजा का मुहूर्त सुबह 6:30 बजे से शाम 6:16 बजे तक रहेगा। इस अवधि में विश्वकर्मा जी की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होंगे। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है.
विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों को साफ करें।
इसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर अपनी पत्नी के साथ पूजा के स्थान पर बैठ जाए।
सबसे पहले हाथ में फूल लेकर श्री हरि विष्णु भगवान का ध्यान करें और फिर उन्हें पुष्प चढ़ाएं।
इसके बाद विश्वकर्मा भगवान की पूजा करें।
पूजा के स्थान पर जल से भरा कलश, अक्षत, माला, धूप, सुपारी, फूल, चंदन, पीली सरसों आदि चीजें जरूर रखें।
हाथ में फूल और अक्षत लेकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करें, “ऊं आधार शक्तपे नमः ऊं कूमयि नमः ऊं अनंतम नमः ऊं पृथिव्यै नमः ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः।”
इसके बाद हाथ में लिए अक्षत और फूल भगवान को समर्पित करें।
फिर पीली सरसों की चार पोटलियां बनाएं और उन्हें चारों दिशाओं में द्वार बांध दें।
इसके बाद अपने हाथ में और पूजा में उपस्थित अन्य लोगों के हाथ में कलावा बांधें।
अब जमीन पर आठ पंखुड़ियों वाला कमल बनाकर उसे पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती उतारे और सभी में प्रसाद बांटे।
पूजन से अगले दिन विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा का विसर्जन करने का विधान है।
विश्वकर्मा जयंती पर भूलकर भी न करें ये काम
विश्वकर्मा पूजा के दिन जिन औजारों और मशीनों की आप पूजा कर रहे हैं उन्हें दूसरों को इस्तेमाल करने के लिए न दें। विश्वकर्मा पूजा के समय भगवान की प्रतिमा के साथ औजार रखना न भूलें। इस दिन रोजमर्रा की मशीनों की साफ-सफाई करना न भूलें। विश्वकर्मा पूजा के दिन किसी भी पुराने औजार या उपकरण को न फेंकें। इस दिन मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
According to the Scorpio yearly horoscope 2025, the year 2025 will be no less than…
According to the yearly horoscope 2025 of the Libra, Jupiter will transit in your eighth house…
People born under the Virgo zodiac sign are known for their creativity, artistic abilities, and…
मां बनना दुनियां का सबसे खुबसूरत एहसास होता है। एक औरत तभी पूर्ण मानी जाती…
Ganesha says Leo Horoscope 2025 is going to be very special in itself. With the…
Ganesha says hope flourishes in the little time that is left between the last year…