तिरुपति से लेकर कृष्ण मंदिर तक, किन मंदिरो का प्रसाद जरूर खाना चाहिए

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सनातन धर्म में जितना महत्व भगवान की पूजा का होता है। उतना ही महत्व पूजा में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का भी होता है। पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद यदि प्रसाद नहीं लेते हैं, तो पूजा अधूरी मानी जाती है। और उसका फल भी नहीं मिलता है।प्रसाद को देवता की कृपा और आशीर्वाद के रूप में माना जाता है, और इसे ग्रहण करने से भक्त देवता की दिव्यता और उनकी कृपा का हिस्सा बन जाते हैं। भारत में कई ऐसे मंदिर जहां का प्रसाद सबसे पवित्र माना जाता है, चालिए जानते हैं उनके बारे में.

तिरुपति बाला जी का दिव्य प्रसाद (Shri Venkateshwara Temple, Tirupati Prasad)

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तिरुपति के प्रसाद को सबसे पवित्र प्रसाद माना जाता है

तिरुपति बाला जी का प्रसाद इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। मगर आपकों बता दें दक्षिण भारत की तिरुमाला पहाड़ियों पर भगवान विष्णु का ये मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. कहते हैं कि इस मंदिर में पूरे देश में सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है. मंदिर अपने लड्डू के लिए भी प्रसिद्ध है जिसे यहां पर भगवान के प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसे तिपुताई लड्डू या श्री वारी लड्डू के नाम से जाना जाता है. ये लोकप्रिय प्रसाद मंदिर परिसर में श्रद्धा के साथ तैयार होता है.इन दिनों प्रसाद में गडबड़ी की बातें सामने आ रही है.

बांके बिहारी मंदिर का दिव्य प्रसाद( Banke Bihari Temple Prasad)

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बांके बिहारी मंदिर में मिट्टी का प्रसाद चढ़ता है


कृष्ण की नगरी वृंदावन के कण-कण में कृष्णा है। यहां बाकें बिहारी को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में ब्रज की गायों के दूध, दही, मक्खन, और घी का इस्तेमाल किया जाता है। मंदिर में मिट्टी के पेड़ों का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है. ये पेड़ यमुना नदी के घाटों से निकाली गई मिट्टी से बनाए जाते हैं. इन पेड़ों से मिलने वाली आमदनी को भगवान की सेवा में लगा दिया जाता है. आपको बता दें बाकें बिहारी को चार तरह के भोग लगाए जाते हैं
बाल भोग: कचौरी, सूखे आलू की सब्ज़ी, और बेसन के लड्डू
राजभोग: रोटी, दाल-सब्ज़ी, चावल, खड़ी खीर-पूआ, पूड़ी, अचार, मुरब्बे, फल, ठंडी लस्सी, पापड़-कुरेरी
संध्या भोग: फल और खिचड़ी
शयन भोग: मिठाई, पेड़ा, कलाकंद, रबड़ी, रसमलाई, रसगुल्ला, दूध पकौड़ी ठंडी

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का दिव्य प्रसाद(Mehandipur Balaji Temple Prasad)

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बालाजी मंदिर भारत के सबसे दिलचस्प मंदिरों में से एक है

अपनी बुरी आत्माओं को भगाएँ। हर दिन, हज़ारों भक्त भूत-प्रेतों और अन्य दुष्ट प्राणियों से छुटकारा पाने के लिए राजस्थान के शांतिपूर्ण दौसा जिले में मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में आते हैं। ऐसा माना जाता है कि खौलता हुआ पानी डालने, छत से लटकाने, दीवार से जंजीर से बांधने और दीवार पर सिर लटकाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। बालाजी मंदिर भारत के सबसे दिलचस्प मंदिरों में से एक है और इसे भारत में एकमात्र ऐसा स्थान भी माना जाता है जहाँ पुजारी भूत-प्रेतों को भगाते हैं। इस मंदिर में प्रसाद नहीं परोसा जाता था और एक बार मंदिर से बाहर निकलने के बाद, उसे वापस न आने के लिए कहा जाता था। कौन जानता है, शायद वे भूत-प्रेत से ग्रसित हो गए हों।

कामाख्या देवी मंदिर का दिव्य प्रसाद (Kamakhya Devi Temple Prasad)

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कामाख्या देवी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में एक है.

गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के समान अद्वितीय कोई प्रसाद नहीं है. कामाख्या देवी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में एक है. मंदिर को अपने काले जादू के अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है. हर साल मानसून के दौरान मंदिर 3 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है. माना जाता है कि गर्भग्रह से बहने वाला झरना उन दिनों में लाल हो जाता है. साथ ही भक्तों को प्रसाद के रूप में पत्थर की मूर्ती को ढकने वाला लाल कपड़ा काटकर दिया जाता है. वहीं अन्य दिनों में भक्त जो भी श्रद्धा से देवी मां को अर्पित करते हैं मां उसे स्वीकार करती हैं. मंदिर के पास मिलने वाली प्रसाद की थाली लेकर आप भी माता को अपनी भेंट चढ़ा सकते हैं.

स्वामी का पंचामृतम मंदिर का दिव्य प्रसाद Dhandayuthapani Swami Temple Prasad)

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यहां भगवान को पांच फलों से बनी मिठाई, गुड़ या मिश्री का भोग लगाया जाता है


तमिलनाडु की पलानी पहाड़ियों में स्थित यह भगवान मुरुगन का मंदिर अपने अनोखे प्रसाद के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहां भगवान को पांच फलों से बनी मिठाई, गुड़ या मिश्री का भोग लगाया जाता है. इसे पंचामृतम के नाम से भी जाना जाता है. इसकी लोकप्रियता इतनी है कि इसे पाने के लिए भक्त नंबर लगाकर इंतजार करते हैं.

केरल के कृष्ण मंदिर का अनूठा भोग (Sree Krishna Temple Prasad)

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यहां भोग दूध, चीनी और चावल से बनता है जिसे पायसम भी कहते हैं

केरल के तिरुवनंतपुरम के पास अमबलपुझा स्थित भगवान श्री कृष्ण के इस मंदिर का प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालु हमेशा ही लालायित रहते हैं. भगवान को लगने वाला ये भोग दूध, चीनी और चावल से बनता है जिसे पायसम भी कहते हैं. मीठा प्रसाद अपने दिव्य स्वाद के कारण भी अद्वितीय है. पारंपरिक रसोइये ही इस प्रसाद को तैयार करते हैं. प्रसाद बनाने का ये सौभाग्य कुछ लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी मिल रहा है.