अभिनेता सैफ अली खान पटौदी नवाबो के खानदान से संबंध रखते हैं।वैसे तो पटौदी परिवार के पूरी इंडिया में कई पैलेस हैं लेकिन हरियाणा में स्थित इस पटौदी पैलेस की बात ही अलग है। सैफ अली खान कई बार फुर्सत के पल बिताने या कोई खास दिन सेलिब्रेट करने पटौदी पैलेस जाते रहते है।
आज हम आपको बतायगे इस आलिशान महल से जुडी कुछ खास बाते
हरियाणा के गुडगांव से 26 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में बसे पटौदी रियासत का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और पटौदी रियासत के 9वें नवाब मंसूर अली उर्फ टाइगर की मौत के बाद 2011 में उनके बेटे सैफ अली खान यहां के 10वें नवाब बने थे। पटौदी रियासत की स्थापना साल 1804 में हुई थी जिसके पहले नवाब फैज तलब खान थे।
पटौदी हाउस को इब्राहिम कोठी के नाम से भी जाना जाता है।पैलेस का निर्माण 1935 में 8वें नवाब और भारतीय टीम के पूर्व कप्तान इफ्तिखार अली हुसैन सिद्दीकी ने कराया था जो सैफ अली खान के दादा थे।
इस पैलेस का डिजाइन रोबर्ट टोर रसेल ने बनाया था जिन्होंने दिल्ली के कनॉट प्लेस को डिजाइन किया था। ऐसा कहा जाता है कि पटौदी रियासत के नवाब साहिब इफ्तिखार कनॉट प्लेस की डिजाइनिंग से इस कदर प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपने पैलेस को वैसा ही बनवाने का फैसला लिया था।
बाद में सैफ अली खान के पिता नवाब मंसूर अली पटौदी ने विदेशी आर्किटेक्ट की मदद से इसका रिनोवेशन कराया था। व्हाइट कलर. के इस पैलेस में 150 रूम, कई बड़े ग्राउंड, गैरेज और घोड़ों के अस्तबल हैं।
सैफ के पिता नवाब पटौदी की मृत्यु के बाद उन्हें इसी पैलेस में दफनाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि नवाब परिवार के कुछ पूर्वजों की कब्र भी यहीं आसपास है।
पिता की मृत्यु के बाद एक समय ऐसा भी आया जब सैफ अली खान के खानदानी महल पटौदी पैलेस को किराए पर देना पड़ा था। लेकिन काफी संघर्ष के बाद सैफ खानदानी पैलेस को हासिल करने में कामयाब रहे । पटौदी पैलेस में कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है, जिनमें ‘मंगल पांडे’, ‘वीर-जारा’, ‘रंग दे बसंती’, ‘लव’ जैसी फिल्में शामिल हैं।