जानिए प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने वाला लड़का कैसे बना जोमैटो का फाउंडर

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एक सक्सेसफुल इंसान पैदा नहीं होता है। बल्कि कोई भी इंसान अपने जीवन में संघर्ष करके सक्सेसफुल बनता है।अगर आप मन में कुछ करने की ठान लेते हैं, तो चाहे कितने भी रूकावटें आए।आप सारी बाधाओं को पार करके अपने लक्ष्य को पा ही लेते हैं। ऐसी ही कहानी हमारे जौमटो के फाउडंर दीपिंदर गोयल की है। जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया, कि एक एवरेज फैमिली में पैदा होने वाला लड़का भी भारत के सबसे बड़े फूड प्लेटफॉर्म बना सकता है। चालिए दीपिंदर गोयल के बारे में जानते हैं.

दीपिंदर गोयल का प्रारंभिक जीवन (Early life of Deepinder Goyal)

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दीपेंदर के माता-पिता दोनों टीचर थे

दीपिंदर गोयल का जन्म 26 जनवरी 1983 पंजाब के मुक्तसर में एक साधारण परिवार में हुआ था।दीपेंद्र गोयल के माता-पिता दोनों ही टीचर थे। दीपिंदर गोयल ने पहली शादी कंचन जोशी से की थी। जिनसे उनका एक बेटा है। डिवार्स के बाद उन्होंने दूसरी शादी मेक्सिकन मॉडल ग्रेसिया मुनोज से की है।

दीपिंदर गोयल की शिक्षा(Deepender Goyal education)

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दीपेंदर ने दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की है

दीपिंदर गोयल नॉर्मल फैमिली से आते हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से की है।मैथ्स में गहरी दिलचस्पी रखने वाले दीपेंद्र का एडमिशन दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हो गया और आगे की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली आ गए। दीपेंद्र ने 2005 में आईआईटी से मैथ्स एंड कम्प्यूटिंग में इंटीग्रेटेड एमटेक की डिग्री ली। डिग्री पूरी होने के बाद दीपेंद्र ने कंसल्टिंग फर्म बेन एंड कंपनी में बतौर कंसल्टेंट नौकरी कर ली।

जोमैटो का आइडिया(Zomato’s idea

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कलिग्स को परेशान होते देख दीपेंद्र को फूड वेबसाइट का आईडिया आया

दीपिंदर को जोमैटो का आई़डिया जॉब के दौरान ही आया। दरअसल, ऑफिस में लंच के दौरान उनके कलिग्स कैफेटेरिया में मेन्यू देखने के लिए काफी लंबी कतार लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे होते थे। इसमें उनका काफी वक्त बर्बाद हो जाता था। दीपेंद्र को यह बात बहुत गलत लगती थी। दीपेंद्र ने अपने साथियों की मदद करने के लिए एक साइट बनाई। जिसमें ऑनलाइन मेन्यू उपलब्ध होता था। इस साइट को देखते ही देखते कई हिट्स मिलने लगे। यहीं से दीपेंद्र को एक बिजनेस आइडिया आया और उन्होंने एक ऐसी वेबसाइट और मोबाइल एप बनाने का फैसला किया जहां लोगों को अपने शहर के बेहतरीन रेस्टोरेंट्स से संबंधित सारी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके।दीपेंद्र के इस आइडिया को उनके सहकर्मी पंकज चड्‌ढ़ा ने खूब सराहा और उनका साथ देने का फैसला किया। 2008 में नौकरी के दौरान ही दीपेंद्र ने पंकज के साथ ऑनलाइन फूड पोर्टल फूडीबे डॉट काॅम की शुरुआत की। इस पोर्टल का उद्देश्य था यूजर्स के लिए लोकेशन, कीमत और लोकप्रियता के आधार पर रेस्टोरेंट्स की खोज को आसान बनाना। 2009 के अंत तक आते-आते फूडीबे के कारोबार में इजाफा हुआ और यूजर्स से अच्छा फीडबैक मिलने लगा। इसी दौरान दीपेंद्र की पत्नी को भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में टीचिंग जॉब मिल गई। पत्नी की तरफ से मिली आर्थिक मदद और कारोबार की रफ्तार ने दीपेंद्र को अपना जॉब छोड़कर पूरा ध्यान बिजनेस पर देने के लिए प्रेरित किया। दीपेंद्र और पंकज ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया और फुल टाइम जोमाटो को विस्तार देने में जुट गए।

व्यक्तिगत उपलब्धियां(Personal achievements)

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दीपिंदर गोयल को कई ऑवार्ड मिले है

2011-ईटी स्टार्टअप ऑफ द ईयर अवार्ड (इंडिया)

2012-बिजनेस टुडे यंग बिजनेस लीडर अवॉर्ड (इंडिया)

2018-आईआईटी दिल्ली (भारत) से विशिष्ट पूर्व विद्यार्थी पुरस्कार

2019-जीक्यू मेन ऑफ द ईयर अवार्ड (इंडिया)

2020-फॉर्च्यून इंडिया 40 40 लिस्ट के अंदर

2024-शार्क टैंक सीजन 3 में न्यायाधीश के रूप में प्रकट हुआ

जोमैटो माइलस्टोन्स(Zomato Milestones)

2008: फुडीबे के रूप में स्थापित, बाद में जोमैटो के रूप में रीब्रांड किया गया
2011: लॉन्च किया गया ऑनलाइन ऑर्डरिंग प्लेटफॉर्म
2014:. अंतर्राष्ट्रीय रूप से यूएई में विस्तारित
2015: अधिग्रहित रनर, एक फूड डिलीवरी स्टार्टअप
2017:. भारत का पहला यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन गया ($1 बिलियन से अधिक मूल्यांकन)
2019: लॉन्च किया गया ग्रोसरी डिलीवरी सर्विस
भारतीय स्टॉक एक्सचेंज पर 2021: IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग)
2023: विश्वव्यापी 23 देशों में विस्तारित

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