एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू भले ही ये फिल्मी डायलॉग है लेकिन यह सच है की एक सिंदूर की कीमत कोई समझ ही नहीं सकता है। सिंदूर शादीशुदा महिलाओं के लिए उनके सुहाग का प्रतीक होता है।आपको बता दें हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए सिंदूर लगाना जरूरी होता है। सिंदूर लाल, गुलाबी, नारंगी रंग का होता है। इन रंगो को दुल्हन के लिए शुभ माना जाता है। महिलाओं के सिंदूर लगाने के कई कारण छिपे हैं। आपने भी कई महिलाओं को लाल के बजाय नारंगी सिंदूर लगाते हुए जरूर देखा होगा। लेकिन क्या आपने सोचा है कि केवल कुछ ही क्षेत्रों में महिलाएं नारंगी सिंदूर क्यों लगाती हैं? ज्यादातर बिहार और झारखंड की महिलाएं नारंगी सिंदूर से अपनी मांग भरती हैं। तो चलिए जानते हैं नारंगी सिंदूर का महत्व।
बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में दुल्हन को लाल के बजाय नारंगी सिंदूर लगाया जाता है। नारंगी सिंदूर को भखरा कहा जाता है। नारंगी सिंदूर को बेहद शुभ माना जाता है। केवल महिलाएं ही नहीं देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भी नारंगी सिंदूर का ही इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नारंगी सिंदूर को केवल भगवान को ही चढ़ाया जाता है।
पौराणिक कथाओं में भी नारंगी सिंदूर का जिक्र किया गया है। यही कारण है कि लोगों के बीच नारंगी सिंदूर की मान्यता ज्यादा है। इसलिए भी नारंगी सिंदूर को शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान जी की मूर्ति का रंग नारंगी क्यों होती है? इसके साक्ष्य सीधे रामायण में मिलते हैं। रामायण में जब सीता माता राम जी को सिंदूर लगाती है तो वह बेहद खुश हो जाते थे।जब यह बात हनुमान जी को पता चली तो उन्होनें राम जी के प्रति अपना समर्पण जाहिर करने के लिए अपने पूरे शरीर को नारंगी सिंदूर से रंग लिया था। यही कारण है कि बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शादी के दिन दुल्हन को नारंगी सिंदूर लगाया जाता है। नारंगी सिंदूर पति-पत्नी के समर्पण का प्रतीक है।
शादी में दुल्हन को सिंदूर सुबह के समय में लगाया जाता है। नारंगी सिंदूर की तुलना सुबह होने के समय सूर्य की लालिमा से की जाती है, जिसका रंग नांरगी होता है। माना जाता है कि बिहार और झारखंड में नारंगी सिंदूर लगाने की पीछे मान्यता है कि जिस तरह सूरज लोगों की जिंदगी में नया सवेरा , खुशहाली और उमंग लाता है, उसी तरह माना जाता है कि नारंगी सिंदूर भी दुल्हन की जिंदगी में खुशहाली लाता है। यही कारण है कि सात फेरे और सिंदूर की रस्म सुबह के समय में की जाती है।
सिंदूर हर विवाहित महिला के सोलह श्रृंगार का हिस्सा है। यही कारण है कि केवल शादीशुदा महिलाएं ही सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर लगाने से न केवल महिलाओं की खूबसूरती बढ़ती है बल्कि इससे कई स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार सिर दर्द और नींद न आने जैसी समस्याओं से बचने के लिए महिलाओं को सिंदूर लगाना चाहिए।
आपने अक्सर यह देखा होगा कि बिहार और झारखंड की महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती हैं। इसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। नाक तक लंबा सिंदूर लगाने से पति की लंबी आयु होती है। आयु लंबी होने के साथ-साथ लंबा सिंदूर पति की सफलता का भी प्रतीक है। माना जाता है कि नाक तक सिंदूर लगाने से पति की कार्य क्षेत्र में तरक्की होती है। केवल बिहार और झारखंड में ही नहीं उत्तराखंड में भी महिलाएं लंबा सिंदूर लगाती हैं।
कथाओं के अनुसार सिंदूर का नाक तक लगाने का संबंध मां पार्वती से है। जब मां पार्वती ने रक्तबीज राक्षस को मारा था तब उनका सिंदूर नाक तक फैल गया था। इसी वजह से हिंदू धर्म में महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं।
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