वैदिक ज्योतिष में रत्न महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक पत्थर का अपना अनूठा प्रभाव और लाभ होता है। पत्थर मानव जीवन और मानव शरीर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।जब आपका रत्न टूट जाए तो आपको उस रत्न का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नुकसान के साथ ही रत्न का प्रभाव और शक्तियां भी खत्म हो जाती हैं।
जिस तरह मनुष्य की कुंडली में नव ग्रहों का महत्व है. उसी तरह ग्रहों से निकली रश्मियों को एकत्रित करने की क्षमता नवरत्नों में पाई जाती है. वैसे तो रत्न अनेक प्रकार के होते हैं परंतु मुख्यत: नौ रत्नों को ही प्राथमिकता दी जाती है. ये रत्न मनुष्य की कुंडली में मौजूद ग्रहों के दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम करने के लिए पहने जाते हैं. हालांकि, रत्न धारण करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है.
यदि किसी रत्न में चिह्नित बाहरी दरार विकसित हो जाए तो उसे “खंडित” या “भंग” या “अपवित्र” कहा जाता है जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अशुभ है। ऐसे रत्नों को उचित प्रक्रिया का पालन करके तुरंत हटा दिया जाना चाहिए। व्यक्ति को “क्षमा याचना” करने के बाद “विसर्जन” करना चाहिए और रत्न के अब तक प्राप्त सभी सकारात्मक परिणामों के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए।
टूटे हुए रत्न को हटाने और उसके निस्तारण में देरी न करें क्योंकि जो रत्न किसी समय आपकी समृद्धि का कारण बना है वही रत्न आपके पतन का कारण भी बन सकता है। इसके उपाय के तौर पर उपयुक्त ग्रह शांति करानी चाहिए. इसके अलावा नया बड़ा और अच्छी गुणवत्ता का रत्न धारण करना इसका समाधान माना जाता है.
आपके धारण किया हुआ रत्न यदि खो जाता है तो उसे शुभ माना जाता है. इसका संकेत है कि आपका वह ग्रह दोष दूर हो गया है. यदि आपको कोई रत्न मिलता है तो इसे अशुभ माना जाता है. इसको लेकर मान्यता है कि जिसका रत्न खोया है उसके कष्ट आप पर आ सकते हैं.
हमारी उंगलियों में शरीर को संचालित करने वाले मस्तिष्क के विशेष केंद्र बिंदु होते हैं, इसलिए यदि कोई रत्न किसी विशेष उंगली में धारण किया जाता है तो उसका अधिक प्रभाव होता है. इसके लिए अंगूठी में धारण किए रत्न का पूर्ण प्रभाव प्राप्त होता है.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कभी भी दूसरों का पहना रत्न खुद नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि उस व्यक्ति के ग्रहों के शुभ अशुभ प्रभाव उस रत्न में अवशोषित हो चुके होते हैं. आप अपने माता-पिता या पति-पत्नी का पहना हुआ रत्न धारण कर सकते हैं. इसे धारण से पहले पूरी तरह शुद्ध कर लें .
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