अगर आप सोचते हैं कि सड़क किनारे 10 रुपये में मिलने वाला गन्ने का जूस आपके लिए फायदेमंद है तो आप गलत सोचते हैं। इसका सेवन करके आप बड़े खतरे में हैं और आपको संभलने की जरूरत है। दरअसल, गन्ने का रस निकालते समय उसमें बर्फ भी मिलाई जाती है। गन्ने और बर्फ दोनों के प्रभाव अलग होते हैं।
आपके द्वारा बरती गई जरा सी सावधानी आपको बीमारी से बचा सकती है। जब भई आप गन्ने का रस पीने जाएं तो इस बात पर जरूर ध्यान दें कि गन्ने अच्छे से साफ हैं या नहीं। क्योकि बहुत सारी जगह गन्ने की सफाई ठीक से नहीं की जाती है, जिस वजह से उस पर काली फफूंद लग जाती है। कई बार गन्नों पर खेतों की मिट्टी लगी रहती हैं। यहीं से सारी परेशानियों की शुरुआत होती है।
इसके आलावा क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि जिन हाथों से गन्ने का रस निकाला जा रहा है वह साफ हैं या नहीं। उन्हीं हाथों से गन्ना पकड़ा जाता है, जनरेटर चलाया जाता है मशीन को घुमाया जाता है। हाथ कभी धोए नहीं जाते।
कई बार गन्ने में लालिमा होती है। ऐसे गन्नों का रस नहीं पीना चाहिए। एक्सपर्ट्स के मुताबिक। गन्ने में लालिमा को सड़ांध या रेड रॉट डिजीज कहा जाता है। यह एक तरह का फंगस है, जो गन्ने के रस को लाल कर देता है। इससे जूस की मिठास भी कम हो जाती है। फफूंद से हेपेटाइटिस ए, डायरिया और पेट की बीमारियां होती हैं। ये गन्ने सस्ते मिलते हैं और सेहर पर बुरा असर डालते हैं।
डॉक्टर से की गई बातचीत के अनुसार, गन्ने का रस जब भी पिएं तो वहां सफाई पर जरूर ध्यान दें। किसी भी रेहड़ी पर जूस पीने न लग जाएं। अगर कहीं साफ सफाई नहीं है तो ज्वाइंडिस, हेपेटाइटिस, टायफायड, डायरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
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