मेरी भावना एक जैनो धर्म का पालन करने वालो के लिए बहुत ही मुख्या भावना होती है | मेरी भावना के रचयिता सुप्रसिद्ध लेखक कवि पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” जी है | जिसने राग द्वेष कामादिक जीते सब जग जान लियासब जीवोको मोक्षमार्ग का निस्पृह हो उपदेश दियाबुध्ध, वीर, जिन, हरि, हर, ब्रम्हा, या उसको स्वाधीन कहोभक्ति-भाव से प्रेरित हो यह चित्त उसी में लीन रहो ||1|| विषयो की आशा नहि जिनके साम्य भाव धन रखते हैंनिज परके हित-साधन में जो निश दिन तत्पर रहते हैंस्वार्थ त्याग की कठिन…
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