टाटा मोटर्स लिमिटेड, फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के गुजरात के साणंद में मौजूद मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का टेकओवर करने जा रही है। इसके लिए टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड ने फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ 725.7 करोड़ रुपए का एग्रीमेंट साइन किया है। सरकारी अथॉरिटी के अप्रूवल्स के अनुसार ये डील क्लोज की जाएगी।
इस डील के तहत फोर्ड की इस यूनिट की पूरी भूमि और भवनों के साथ-साथ मशीनरी और सभी उपकरण अब टाटा के हो जाएंगे। वही टाटा मोटर्स साणंद प्लांट में काम करने वाले फोर्ड इंडिया के सभी योग्य कर्मचारियों का ट्रांसफर भी अपने यहां करेगी।
टाटा मोटर्स इस प्लांट से पहले साल 2008 में फोर्ड से दो लग्जरी कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को भी खरीदा था. लेकिन एक समय ऐसा था जब इसी फोर्ड कंपनी ने टाटा रतन का अपमान किया था. साल 1998 में जब टाटा मोटर्स ने भारत की पहली स्वदेशी कार और रतन टाटा के ड्रीम प्रोजेक्ट टाटा इंडिका को लॉन्च किया था, इस कार को सफलता नहीं मिल पाई थी और कंपनी काफी घाटे में चली गई. कार की असफलता के कारण उसे एक साल बाद ही बेचने का फैसला लिया गया. जिसके लिए रतन टाटा साल 1999 में अमेरिका की बड़ी कार निर्माता कंपनी फोर्ड से बात करने अमेरिका पहुंचे.
रतन टाटा ने फोर्ड के उस समय के चेयरमैन बिल फोर्ड से अमेरिका में मुलाकात की, जोकि अच्छी नहीं रही. बिल फोर्ड ने रतन टाटा को काफी अपमानित किया था. बिल ने रतन टाटा से कहा था कि अगर हम आपकी कंपनी खरीदते हैं, तो यह आप पर एक बड़ा एहसान होगा, वही बिल ने यह तक कहा था कि रतन टाटा को कार व्यवसाय कभी शुरू नहीं करना चाहिए था. इसके बाद दोनों कंपनियों के बीच कोई सौदा नहीं हुआ और न ही टाटा ने अपने प्रोडक्शन यूनिट बेचे.
वही इस घटना के कुछ साल बाद साल 2008 में मंदी के कारण फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर थी. तब रतन टाटा ने फोर्ड पोर्टफोलियो के दो पॉपुलर ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में ख़रीदा. वही फिर फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था कि आप इन्हें खरीदकर हम पर एक बड़ा उपकार कर रहे हैं. वही अब टाटा मोटर्स फोर्ड के गुजरात के साणंद में मौजूद मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का टेकओवर करने जा रही है.