माघ मास की चौथी तिथि को आने वाली “माघ शिवरात्रि” हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान शिव की पूजा के लिए की जाती है। यह व्रत भक्तों को माघ मास में भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इस दिन शिवरात्रि के विशेष महत्व के साथ, यह धार्मिक त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। हर माह की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इसे ही मासिक शिवरात्रि भी कहते हैं. शिवरात्रि जिस महीने में मनाई जाती है उस नाम से कहा जाता है , जिस माह की शिवरात्रि होती है,उस माह के नाम से वह शिवरात्रि जानी जाती है. इस समय माघ मास चल रहा है तो माघ शिवरात्रि आएगी. यह फरवरी की भी शिवरात्रि है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 11 बजकर 17मिनट पर शुरू होगी और यह तिथि 09 फरवरी दिन शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर खत्म होगी.माघ शिवरात्रि के लिए निशिता मुहूर्त 8 फरवरी को हो रहा है, इसलिए माघ की मासिक शिवरात्रि 8 फरवरी गुरुवार को मनाई जाएगी.माघ शिवरात्रि की पूजा निशिता मुहूर्त में करने का शुभ समय देर रात 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक है. उस दिन आपको शिव पूजा के लिए करीब 1 घंटे का शुभ समय मिलेगा .
इस बार माघ शिवरात्रि के दिन सुबह से ही सिद्धि योग बन रहा है, जो रात 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. भक्त सिद्धि योग में शिवरात्रि भी पूजा कर सकते है.उस दिन उत्तराषाढा नक्षत्र प्रातःकाल से लेकर देर रात 02 बजकर 09 मिनट तक है.माघ शिवरात्रि के दिन का ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 05 बजकर 21 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक है. उस दिन का शुभ मुहूर्त यानी अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से दोपहर 12:57 तक है.
माघ मास की चौथी तिथि को मनाई जाने वाली शिवरात्रि को पूरे वर्ष का एक विशेष दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और ध्यान से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.शिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं और शुभ समय में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. शिव और शक्ति की कृपा से व्यक्ति के दुख दूर होते हैं. पाप नष्ट होते हैं. व्रत के पुण्य प्रभाव से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.माघ शिवरात्रि का व्रत रखने से भगवान शिव अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और उन्हें सभी कठिनाइयों से मुक्ति प्रदान करते हैं।
इस विशेष दिन, भक्त अलग-अलग शिव मंदिरों में समाज में समर्पित होकर, शिवलिंग का पूजन और अभिषेक करते हैं। साथ ही, गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी आदि सुरम्य नदियों में स्नान करना भी धार्मिक माना जाता है।
भक्त इस दिन नीति, श्रद्धा, और भक्ति के साथ रात्रि भर जागकर शिव मंत्रों का जाप करते हैं। यह एक आध्यात्मिक अनुभव का समय होता है जब भक्त अपने अंतर में भगवान शिव के साथ एक होता है। इस दिन को विशेष रूप से मनाने से भक्तों को आत्मा की शुद्धि और पवित्रता का अनुभव होता है। शिवरात्रि के इस अद्भुत दिन पर, लोग एक दूसरे के साथ मिलकर सामाजिक कार्यों में भाग लेते हैं और एक दूसरे के साथ अच्छे रिश्तों की निर्माण करते हैं।इस दिन को ध्यान, भक्ति, और सेवा के साथ मनाकर हम अपने जीवन को धार्मिकता और सद्गुणों से भर देते हैं।
मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्म के बाद स्नान करें। फिर घर के मंदिर में दीप जलाएं। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। यदि आपके घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें। गंगा जल नहीं होने पर आप साफ पानी से भी शिव जी का अभिषेक कर सकते हैं। जिनके घर में शिवलिंग नहीं है वे भोले बाबा का ध्यान करें। भगवान शिव की आरती करें। भगवान शिव के साथ माता पार्वती की आरती भी करें। इस दिन अपनी इच्छा अनुसार भगवान शंकर को भोग लगाएं। भोग में कुछ मीठा भी शामिल करें।
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