धर्म

कालकाजी मंदिर: एक अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थल

दिल्ली, भारत की राजधानी, विविधता से भरी हुई है और यहां हर कोने में एक अद्वितीय सांस्कृतिक गहराई है। इस रूप में, कालकाजी मंदिर एक शानदार आध्यात्मिक दर्शन है जो शहर की भौतिक धूप में भी आत्मा को शांति प्रदान करता है।

कालकाजी मंदिर, जो कि मां काली को समर्पित है, एक प्राचीन और प्रमुख धारोहर है जो आकर्षक और मनोहर है। मंदिर की स्थापना का इतिहास गहरा है और इसे मां काली के पूजन स्थल के रूप में माना जाता है, जो शक्ति और संरक्षण की देवी हैं।

कहां है कालका जी मंदिर ?

कालकाजी मंदिर राजधानी दिल्ली का एक लोकप्रिय मंदिर है. कालकाजी मंदिर कालकाजी में स्थित है, जो देश के प्रसिद्ध लोटस टेंपल और इस्कॉन टेंपल के पास है. यह मंदिर कालका देवी, देवी शक्ति या दुर्गा के अवतारों में से एक को समर्पित है. अरावली पर्वत श्रृंखला के सूर्यकूट पर्वत पर विराजमान कालकाजी मंदिर के नाम से विख्यात ‘कालिका मंदिर’ देश के प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक है.यहां नवरात्र में हजारों कि संख्या में लोग माता का दर्शन करने आते हैं.

कालकाजी मंदिर का इतिहास :-

कालकाजी मंदिर बहुत प्राचीन हिन्दू मंदिर में से एक है. मान्यता है की मंदिर के प्राचीन हिस्से का निर्माण मराठाओं की ने सन् 1764 ईस्वी में किया था.बाद में सन् 1816 ईस्वी में अकबर के पेशकार राजा केदार नाथ ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया था. बीसवीं शताब्दी में हिन्दू धर्म के अनुयायियों ने यहां चारों ओर अनेक मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया था. इस मंदिर का निर्माण यहां पर रहने वाले ब्राह्मणों और बाबाओं की भूमि पर किया गया है, जो बाद में इस मंदिर के पुजारी बने और यहां पूजा-पाठ का काम करने लगे. आज के समय में यह दिल्ली शहर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है.

नवरात्री की पूजा :-

यहां हर साल नवरात्रि के दिनों में विशेष पूजा की जाती है, जिसमें देश विदेश से लाखों भक्त शामिल होते हैं। मंदिर की शिखर में आराध्य मां काली का अत्यंत आकर्षक मूर्ति है .ये स्थानीय और बाहरी पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है।

कालकाजी मंदिर न केवल आध्यात्मिक महत्वपूर्णता रखता है, बल्कि यह आस-पास के क्षेत्र के लोगों के बीच एक सामाजिक समृद्धि का केंद्र भी है। मंदिर की सुंदर वास्तुकला और धार्मिक सौंदर्य ने इसे दिल्ली के धारोहर मंदिरों में से एक बना दिया है।

कालकाजी मंदिर की खासियत :-

कालकाजी के मुख्य मंदिर में कुल 12 दरवाज़े हैं, जो 12 महीनों का संकेत देते हैं. हर द्वार के पास माता के अलग-अलग रूपों का चित्रण किया गया है. मंदिर के परिक्रमा में 36 मातृकाओं (हिन्दी वर्णमाला के अक्षर) के द्योतक हैं. माना जाता है कि ग्रहण में सभी ग्रह इनके अधीन होते हैं, इसलिए दुनिया भर के मंदिर ग्रहण के वक्त बंद होते हैं, जबकि कालकाजी मंदिर खुला होता है.

मंदिर में पूजा का समय :-

इस मंदिर में सुबह और शाम को दो बार आरती की जाती है. मंदिर सुबह 4:00 बजे से रात्री 11:00 बजे तक खुला रहता है, लेकिन दिन में 11:30 से 12:00 बजे के बीच 30 मिनट तक भोग लगाने के लिए यह मंदिर बंद रहता है. वहीं शाम को 3:00 से 4:00 बजे के बीच साफ-सफाई के लिए मंदिर बंद रहता है. इसके अलावा किसी भी समय इस मंदिर में पूजा-पाठ और दर्शन के लिए आप जा सकते हैं. शाम को होने वाली आरती को तांत्रिक आरती कहा जाता है. इस मंदिर में हर दिन अलग-अलग पुजारी पूजा-पाठ करते हैं.

Priyadarshana Jain

Recent Posts

ग्रहो की स्थति से उनसे होने वाले रोग और उनसे उपाय

सूर्य की विषम स्थितियाँ जब भी सूर्य नीच का या पाप ग्रहों से संबंधित अथवा…

5 दिन ago

2025 के अलग अलग राज्य के बैंक अवकाश | Holidays 2025

भारत को विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का देश माना जाता है। हर दिन देश के…

1 महीना ago

Hindu Festivals 2025 | 2025 में भारतीय त्योहार व बैंक अवकाश | Festivals Calendar 2025

भारत अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है, यहां हर त्योहार हर्षोल्लास…

2 महीना ago

आखिर क्यों 16 श्राद्ध के अंतिम दिन सभी का श्राद्ध करते हैं ?

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की विदाई की जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष…

2 महीना ago

शनाया कपूर से लेकर इब्राहिम अली तक, इन स्टारकिड्स का डेब्यू कब होगा ?

बॉलीवुड में कई सितारों के बच्चों ने साल 2024 में एक्टिंग में डेब्यू किया है।…

2 महीना ago

19 साल की उम्र में मिस यूनिवर्स 2024 खिताब जीतने वाली रिया सिंघा कौन है ?

मिस यूनिवर्स बनने जा सपना तो हर कोई देखता है। मगर कुछ ही लोगों के…

2 महीना ago