Rishi Panchami Vrat 2024: ऋषि पंचमी व्रत, जानें पूजा विधि, महत्व और कथा

हिन्दू धर्म में ऋषि पंचमी का व्रत सप्तऋषियों की पूजा करने के लिए हर साल मनाया जाता है. यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से लोगों को संतान प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. ऋषि पंचमी का पर्व हर महीने भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है. यह पर्व गणेश चतुर्थी के अगले दिन पड़ता है. इस पर्व के दिन सप्त ऋषियों के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाता है. इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. यह व्रत पुरुष भी अपनी पत्नी के लिए रख सकते हैं.

धार्मिक कथाओं के अनुसार वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज ये सात ऋषि हैं

ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों – कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, गौतम, जमदग्नि, और विश्वामित्र की पूजा की जाती है. ये सात ऋषि ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश माने जाते हैं. ये ही वेदों और धर्मशास्त्रों के रचयिता हैं. माना जाता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है.

ऋषि पंचमी की कथा

एक समय विदर्भ देश में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी के साथ निवास करता था. उसके परिवार में एक पुत्र व एक पुत्री थी. ब्राह्मण ने अपनी पुत्री का विवाह अच्छे ब्राह्मण कुल में कर देता है. लेकिन काल के प्रभाव स्वरूप कन्या का पति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है, और वह विधवा हो जाती है. तथा अपने पिता के घर लौट आती है. एक दिन आधी रात में लड़की के शरीर में कीड़े उत्पन्न होने लगते है.

अपनी कन्या के शरीर पर कीड़े देखकर माता पिता दुख से व्यथित हो जाते हैं. और पुत्री को उत्तक ऋषि के पास ले जाते हैं। अपनी पुत्री की इस हालत के विषय में जानने की प्रयास करते हैं. उत्तक ऋषि अपने ज्ञान से उस कन्या के पूर्व जन्म का पूर्ण विवरण उसके माता पिता को बताते हैं और कहते हैं कि कन्या पूर्व जन्म में ब्राह्मणी थी. और इसने एक बार रजस्वला होने पर भी घर बर्तन इत्यादि छू लिये थे. और काम करने लगी बस इसी पाप के कारण इसके शरीर पर कीड़े पड़ गये हैं.

शास्त्रों के अनुसार रजस्वला स्त्री का कार्य करना निषेध है परंतु इसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और इसे इसका दण्ड भोगना पड़ रहा है. ऋषि कहते हैं कि यदि यह कन्या ऋषि पंचमी का व्रत करे और श्रद्धा भाव के साथ पूजा तथा क्षमा प्रार्थना करे तो उसे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी. इस प्रकार कन्या द्वारा ऋषि पंचमी का व्रत करने से उसे अपने पाप से मुक्ति प्राप्त होती है. इसलिए उस पाप को शुद्धि के लिए ही हर स्त्री को ऋषि पंचमी का व्रत करना चाहिए.

ऋषि पंचमी का महत्व

मान्यता है कि ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने से सप्तऋषियों के आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इस दिन पूरे देश में श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ सप्त ऋषियों की अराधना करते हैं और अपने जीवन को धर्ममय बनाने की कामना करते हैं. ऋषि पंचमी के इस पवित्र अवसर पर सभी भक्तजन अपने मन को पवित्र और सच्चे आस्था से ऋषियों की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने से सप्तऋषियों के आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋषियों के स्वर्ण की प्रतिमा बनाकर किसी योग्य ब्राह्मण को दान करने से अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है. सप्तऋषियों के आशीर्वाद से लोगों को किसी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं.

ऋषि पंचमी पूजा विधि

ऋषि पंचमी के दिन एक साफ जगह पर आसन बिछाकर उस पर एक चौकी रखें. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं.चौकी पर सप्तऋषियों का चित्र या मूर्ति स्थापित करें और एक कलश स्थापित करें और उसमें गंगाजल भरें.कलश को आम के पत्ते और फूलों से सजाएं और दीपक जलाकर वातावरण को पवित्र करें.कलश से जल लेकर सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और धूप-दीप दिखाएं.पूजा के समय सप्तऋषियों को फल और मिठाई का भोग लगाएं.सप्तऋषियों के मंत्रों का जाप करें और अंत में सप्तऋषियों से आशीर्वाद लें.

व्रत के दौरान इनका सेवन करें

1.ऋषि पंचमी व्रत के दौरान, कई लोगों के लिए उपवास रखने और केवल सात्विक खाद्य पदार्थों का सेवन करने की प्रथा है। सात्विक भोजन शुद्ध, हल्का और पचने में आसान होता है और मन और शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है। यहाँ कुछ खाद्य पदार्थ दिए गए हैं जिन्हें आप ऋषि पंचमी 2024 व्रत के दौरान खा सकते हैं:

2.फल: केले, सेब, अंगूर, अनार, तरबूज और पपीता जैसे फलों का सेवन किया जा सकता है। फल ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत हैं और इनमें आवश्यक विटामिन और खनिज होते हैं।

3.दूध और डेयरी उत्पाद: दूध और डेयरी उत्पाद जैसे पनीर, दही और छाछ प्रोटीन और कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं। व्रत के दौरान इनका सेवन सीमित मात्रा में किया जा सकता है।

4.मेवे और सूखे मेवे: बादाम, काजू, किशमिश और खजूर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और ऊर्जा का अच्छा स्रोत होते हैं। आप इन्हें कम मात्रा में खा सकते हैं क्योंकि इनमें कैलोरी की मात्रा अधिक होती है।

5.साबूदाना खिचड़ी: साबूदाना (टैपिओका) व्रत के दौरान एक लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है, और साबूदाना खिचड़ी एक स्वादिष्ट और पेट भरने वाला व्यंजन है जिसे श्रद्धालु ऋषि पंचमी व्रत के दौरान खा सकते हैं।

6.सामक चावल: सामक चावल एक प्रकार का बाजरा है जिसे लोग व्रत के दौरान खा सकते हैं। यह ग्लूटेन-मुक्त, पचाने में आसान और ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है।

7.ताजी सब्जियाँ: व्रत के दौरान खीरा, गाजर, टमाटर, कद्दू और लौकी जैसी ताजी सब्जियाँ खाई जा सकती हैं। सब्जियाँ आवश्यक विटामिन, खनिज और फाइबर प्रदान करती हैं।

8.ध्यान रखें कि व्रत के दौरान आपको मांसाहारी भोजन, प्याज, लहसुन और गेहूं, चावल और दाल जैसे अनाज का सेवन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, खूब सारा पानी, नारियल पानी और फलों का जूस पीकर हाइड्रेटेड रहना भी ज़रूरी है।

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