कब है नवरात्री,इस नवरात्री में कैसे करें कलश स्थापना

मां शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. आपको बता दें नवरात्रि पर्व का हिंदू धर्म में अलग ही महत्व है. यह साल में 4 बार आता है. जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है.15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होने वाली है.

15 अक्टूबर से प्रारंभ है शारदीय नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि
15 अक्टूबर से नवरात्रि

मां दुर्गा की उपासना का त्यौहार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है.तथा 23 अक्टूबर को इसका समापन होगा. वही 24 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा.शारदीय नवरात्रि के पहले दिन देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। इस साल मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर हाथी पर सवार होकर आ रही हैं.

कलश स्थापना का मुहूर्त कब है

 मुहूर्त
स्थापना का मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक है

नवरात्रि महापर्व के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. इस बार कलश स्थापना का मुहूर्त 15 अक्टूबर को 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक है. यानी की इस बार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 48 मिनट ही रहेगा.आपको बता दे कलश स्थापना करने के लिए आपको लाल रंग के आसन की जरूरत पड़ेगी.इसके अलावा मिट्टी का पात्र, जो, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली,इलायची,लौंग,कपूर रोली, सबूत सुपारी, साबुत चावल,सिक्के,अशोक या आम के पांच पत्ते,नारियल चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी की भी जरूरत पड़ेगी.

कैसे करें कलश स्थापना

कलश स्थापना
कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं

1.नवरात्रि के पहले दिन सुबह से स्नान कर ले.मंदिर की साफ सफाई कर लें. सबसे पहले गणेश जी का नाम ले और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं.

2. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीच बोएं.अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं.

3.फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें.

4.अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं

कलश स्थापना के क्या नियम हैं

 कलश स्थापना
ये हैं कलश स्थापना के नियम

1.नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है.नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आव्हान है. मानता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं.

2. आपको बता दें रात के समय कलश स्थापना करने से आप पाप के भागीदार बन जाएंगे.इसलिए सुबह के समय ही घट स्थापना करें.

3. मान लीजिए किसी कारण बस आप समय पर कलश स्थापना नहीं कर पाए.अभीजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है.