भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है.किसी भी शुभ मांगलिक कार्य करने से पहले श्री गणेश पूजन किया जाता है.मान्यता है कि गौरी पुत्र गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। हालांकि उनकी विशेष कृपा प्राप्ति के लिए भाद्रपद माह को श्रेष्ठ माना गया है. हिंदू धर्म में इस माह को भगवान गणेश के जन्म से जोड़ा जाता है,मान्यता है कि भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ था. हर साल इस तिथि को गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान पूजा में उनकी आरती करने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं.साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। ऐसे में आइए गणेश जी की आरती के बारे में जानते हैं.
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥