दीपावली के एक दिन पहले और धनतेरस के दूसरे दिन रूप चतुर्दशी का महापर्व मनाया जाता है.इसलिए इस दिन लोग घर की सफाई के साथ अपने शरीर की भी विशेष रूप से सफाई करते हैं. अपने सौंदर्य को कायम रखने की कामना लिए लोग इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में अथवा पवित्र नदी का जल डालकर स्नान करते हैं. मान्यता है कि इस रूप चतुर्दशी या फिर कहें रूप चौदस पर सूर्योदय से पूर्व किसी नदी तीर्थ में जाकर स्नान करने से सौंदर्य सालों-साल तक कायम रहता है.
रूप चतुर्दशी का मुहूर्त(roop chaturdashi muhurt)
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर होगा.
रूप चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है(Why is Roop Chaturdashi celebrated)
मान्यताओं क मुताबिक, नरकासुर नाम के एक राक्षक ने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था.और उसके पास अलौकिक शक्तियां थी. जिस वजह से उससे युद्ध करना किसी के वश में नहीं था. नरकासुर की यातनाएं बढ़ती ही जा रही थी. इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवता भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे. सभी देवताओं के कहने पर भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी मदद की. नरकासुर को श्राप मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथों होगी. इसी बात का भगवान श्री कृष्ण भरपूर फायदा उठाया. उन्होंने अपनी पत्नी के सहयोग से कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन नरकासुर का वध कर दिया. आपको बता दें कि नरकासुर ने 16 हजार बंधक बना रखें थे. उसकी मृत्यु के बाद उन्हें मुक्त कर दिया गया. बाद में इन बंधकों को पटरानियों के नाम से जाना जाने लगा. नरकासुर की मृत्यु के बाद से ही कार्तिक मास की अमावस्या को लोग नरक चतुर्दशी मनाने लगे.इसे रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.
रूप चतुर्दशी की पूजन विधि (roop chaturdashi pujan vidhi)
1.इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान का महत्व होता हैं. इस दिन स्नान करते वक्त तिल एवम तेल से नहाया जाता है, इसके साथ नहाने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित करते हैं.
2.इस शरीर पर चंदन लेप लगाकर स्नान किया जाता हैं एवम भगवान कृष्ण की उपासना की जाती हैं.
3.रात्रि के समय घर की दहलीज पर दीप लगाये जाते हैं एवम यमराज की पूजा भी की जाती हैं.
4.इस दिन हनुमान जी की अर्चना भी की जाती हैं.