बॉलीवुड में आज के समय में कई कामयाब स्टार्स मौजूद है, लेकिन स्टार्स को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती है. कई सेलेब्स ऐसे है जिन्हे बचपन में कुछ बीमारियां भी थी. बॉलीवुड में कई बड़े स्टार अपनी बीमारियों को पीछे छोड़ कर बॉलीवुड में ऊँचे मक़ाम तक पहुंचे है. तो आइये आज जानते है कौन कौन से सेलेब्स ने अपने बचपन के डिसऑर्डर को पीछे छोड़ कामयाबी हासिल की.
शरद केलकर (Sharad Kelkar)
टीवी शो और बॉलीवुड फिल्मे में नज़र आये एक्टर शरद केलकर को हाल ही में द फैमिली मैन की सीरीज में देखा गया है. इस सीरीज से शरद को दर्शकों का काफी अच्छा रिस्पांस भी मिला है. वही हाल ही में शरद ने खुलासा किया है कि उन्हें हकलाने समस्या थी. हकलाने की वजह से उन्हें काफी रजेक्शन्स का सामना कर पड़ा था लेकिन उन्होंने इस समस्या से 2 साल में मेहनत कर छुटकारा पाया और आज एक बेहतरीन एक्टर के रूप में सबके सामने है.
रानी मुखर्जी (Rani Mukerji)
बॉलीवुड की 90 के दशक की पॉपुलर एक्ट्रेस रानी मुखर्जी को बचपन में हकलाने की समस्या थी. रानी ने बॉलीवुड में ‘हिचकी’ फिल्म की थी. ‘हिचकी’ फिल्म में रानी ने हकलाने का किरदार निभाया था, असल में भी रानी 22 साल तक इस समस्या से जूझ चुकी हैं.
ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan)
बॉलीवुड के पॉपुलर एक्टर ऋतिक रोशन ने बतौर लीड एक्टर बॉलीवुड करियर की शुरुआत फिल्म ‘कहो न प्यार है’ (2000) से की थी। इससे पहले वे कई फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में भी अभिनय कर चुके थे। 1980 में आई फिल्म ‘आशा’ बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ऋतिक की पहली फिल्म थी। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 6 साल थी. वही कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय करने और बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी करने वाले ऋतिक को बचपन में हकलाने की बीमारी थी लेकिन वे इस समस्या से हारे नहीं, बल्कि संघर्ष करते रहे और अब बॉलीवुड में सुपरस्टार बन गए है.
अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan)
बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन बचपन में बहुत ही इंट्रोवर्ट थे. अभिषेक को बचपन में डिस्लेक्सिया की समस्या थी. स्लो लर्नर के साथ-साथ उन्हें अक्षर भी ठीक से समझ नहीं आते थे। इस प्रॉब्लम को जानने के बाद उनका इलाज हुआ और उन्होंने अपनी इस समस्या को पीछे छोड़ कर बॉलीवुड में सफलता की ओर कदम बढ़ाया.
तापसी पन्नू (Taapsee Pannu)
बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू बचपन में इतनी हायपर एक्टिव थीं कि कभी एक जगह पर ज्यादा देर नहीं बैठ पाती थीं। हर समय कोई ना कोई शरारत, तोड़-फोड़ करती रहती थीं। जब उनकी यह दिक्कत उनके पेरेंट्स को समझ आई तो उनका इलाज कराया गया। उन्हें दूसरे कामों में बिजी किया गया ताकि उनकी एनर्जी सही कामों में लग सके.