रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को भारत के सूरत शहर में हुआ था। रतन टाटा नवल टाटा और सोनू टाटा के बेटे है. जब रतन दस साल के थे तो उनके माता-पिता (नवल और सोनू) ने 1948 में एक दुसरे को तलाक दे दिया था कर अलग हो गए थे. उसके बाद रतन टाटा की दादी नवजबाई टाटा ने उनका पालन पोषण किया था.
रतन टाटा ने अपनी की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से पूरी की थी उसके बाद माध्यमिक शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने अपना बी एस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ कॉर्नेल विश्वविद्यालय से 1962 में पूरा किया। अपने दम पर आगे बढ़ने वाले रतन टाटा ने अमेरिका में अपना एजुकेशन ख़त्म होने तक होटल में बर्तन मांजने जैसे छोटे मोटे काम भी किये थे. रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से सन 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट डिग्री प्राप्त की थी.
भारत वापस लौटने से पहले रतन टाटा ने लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, में जोन्स और एमोंस में कुछ समय तक काम किया था. रतन टाटा ने सन 1961 में टाटा ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी. शुरुआती दिनों में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया था. इसके बाद रतन टाटा ग्रुप की दूसरी कंपनियों के साथ जो घाटे में चल रही थी उनसे जुड़े. रतन टाटा को सन 1971 में राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया था. आगे के 3 सालो में रतन टाटा ने घाटे में चल रही इस कंपनी को खड़ा किया था राटा टाटा ने नेल्को के मार्किट शेयर को 2% से 20 % तक पहुंचाया था. लेकिन देश में लागु हुई एमर्जेन्सी और आर्थिक मंदी के कारण नेल्को कंपनी बंद हो गयी थी यह रतन टाटा के जीवन का पहला बड़ा फेलियर था.
1977 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप की टाटा एक्सप्रेस मिल कंपनी दी गयी थी जो उस समय बंद होने के कगार पर थी. लेकिन इस कंपनी को फिरसे खड़ा करने के लिए फण्ड न मिल पाने की वजह से यह कंपनी भी बंद हो गयी थी जो कि रतन टाटा का दूसरा फेलियर था.
इसके बाद सन 1981 में रतन टाटा को टाटा इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष बनाया गया. सन 1991 में जेआरडी टाटा ने ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया था और रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया. इसके बाद टाटा ग्रुप काफी तेज़ी से आगे बढ़ने लगा था. टाटा पहले से कमर्शियल और पैसंजर व्हीकल बनाता था. वही 30 दिसंबर 1998 में रतन टाटा ने आम इंडियन का कार ले पाने का सपना पूरा करने के लिए लग्जरी कार इंडिका लांच की थी, यह कार इंडिया में ही बनाई गयी थी. यह प्रोजेक्ट रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था इस प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने काफी कड़ी महंत भी की थी, लेकिन ऑटो एनालिस्ट ने इसे कार की काफी आलोचना की जिस वजह से टाटा इंडिका की सेल गिरने लगी और टाटा इंडिका को मार्किट से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला जिसकी वजह से टाटा इंडिका 1 साल के अंदर ही फ्लॉप हो गयी थी इससे टाटा मोटर्स को काफी ज्यादा नुकसान हुआ था. नुकसान की वजह से रतन टाटा ने अपनी कार कंपनी बेचने का फैसला लिए था. रतन टाटा ने फोर्ड कंपनी को अपनी कार कंपनी खरीदने का प्रस्ताव दिया था. फोर्ट कंपनी के चेयरमैन का रतन टाटा के साथ काफी रुखा व्यवहार था वहोइ बातो बातो में चेयरमैन ने रतन टाटा को खा था की अगर तुझे कार बनाने नहीं आती तो इस बिज़नेस में इतने पैसे क्यों लगाए यह बात रतन टाटा को बहुत चुभी जिसके बाद उन्होंने इस डील को बीच में ही छोड़ दिया था.
इस डील को छोड़ कर वापस आये रतन टाटा ने अपना सारा ध्यान टाटा मोटर्स पर ही लगाया और सालो तक रिसर्च कड़ी मेहनत के बाद रतन टाटा ने इंडिका का नया वर्जन इंडिका eV2 लांच किया था. कई झटके खाने के बाद कुछ सालो में रतन टाटा का कार बिज़नेस काफी ऊंचाई तक पहुंच गया था और कंपनी को काफी मुनाफा भी मिला. लेकिन वही इसी समय फोर्ड अपनी लग्जरी कार जैगुआर और लैंड रोवर की वजह से काफी घाटा झेल रही थी. 2008 में फोर्ट के घाटे के चलते रतन टाटा ने उनके सामने उनकी लग्जरी कार जैगुआर और लैंड रोवर खरीद ली थ
वही इसके बाद टाटा ने कई कई कम्पनीया खरीदी थी. टाटा ने टेटली कंपनी को भी खरीद लिया ता जिसके बाद टाटा दुनिया की सब से बड़ी टी बैग बनाने वाली कंपनी बनी साथ ही टाटा स्टील ने ‘कोरस’ को भी खरीद लिया था. साल 2008 में रतन टाटा ने दुनिया की 1 लाख में बिकने वाली सबसे सस्ती यात्री कार टाटा नैनो भी बनाई थी शुरू में यह कार काफी चली थी लेकिन कुछ समय बाद एक सस्ती कार के रूप में इसको देखा जाने लगा जिसकी वजह से यह कार फ्लॉप हो गयी थी.
28 दिसंबर 2012 75 साल की उम्र ने रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. उनका स्थान 44 वर्षीय साइरस मिस्त्री ने लिया था. रिटायर होने के बाद भी रतन काम-काज में लगे हुए हैं. रतन टाटा ने भारत के इ-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील में अपना व्यक्तिगत निवेश किया था. इसके साथ-साथ उन्होंने एक और इ-कॉमर्स कंपनी अर्बन लैडर और चाइनीज़ मोबाइल कंपनी जिओमी जैसे कई इ कॉमर्स कंपनी में भी निवेश किया है.
रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की वो आजीवन कुंवारे की तरह ही रहे. भारत सरकार ने रतन टाटा को पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) द्वारा सम्मानित किया था. ये सम्मान देश के तीसरे और दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं. वही हाल ही में फेडरेशन ऑफ इंडो-इजरायल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (एफआईआईसीसी) ने एकता, शांति और स्थिरता के लिए प्रतिष्ठित ‘ग्लोबल विजनरी ऑफ सस्टेनेबल बिजनेस एंड पीस’ पुरस्कार से रतन टाटा को सम्मानित किया है.
वही रतन टाटा का सरल स्वभाव सभी को बेहद भाता है रतन टाटा के सरल स्वभाव की वजह से लोग उनका काफी सम्मान भी करते है. 2020 में हुए टाईकॉन मुंबई कार्यक्रम में रतन टाटा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाज़ा गया था इस दौरान रतन टाटा को नारायण मूर्ति ने अवार्ड दिया था और नारायण मूर्ति ने रतन टाटा के पैर भी छुए थे, यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. आपको बता दें कि नारायण मूर्ति इन्फोसिस के को-फाउंडर है.