Travel

भारत का अंतिम छोर धनुषकोडी क्यों खास है और इसे क्यों कहा जाता है भूतों का शहर

ये दुनियां रहस्यों से भरी हुई है यहां आपको रौशनी देखने को मिलेगी तो अंधकार भी देखने को मिलेगा।दिन में सूरज भी आपको दिखेगा तो रात में चांद भी आपको नजर आयेगा। आपको अपने आस पास ही ऐसी कई जगहें दिख जाएंगी, जिनके पीछे की कहानी बेहद ही रहस्यमय होंगी या इतनी दिलचस्प होंगी। जिससे एक बार वहां जाने का मन हर किसी का कर ही जाता है। आइए आज आपको भारत की एक ऐसी रहस्यमायी जगह के बारे में बताएंगे जिसके बारे में जानने के बाद आपका बार बार जाने का मन करेगा। तमिलनाडु के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के किनारे पर धनुषकोडी मौजूद है। आपको बता दें, इस जगह को भारत का अंतिम छोर भी कहा जाता है और इसी स्थान पर एक ऐसी सड़क है, जिसे भारत की आखिरी सड़क कहा जाता है। आइए जानते है भारत के अंतिम छोर धनुषकोड़ी के बारे में।

धनुषकोडी कहां पर है

धनुषकोडी

धनुषकोडी तमिलनाडु में रामेश्वरम द्वीप के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित है। धनुषकोडी रहस्य में डूबी हुई जगह है और यह एक ऐसी जगह है जहां पहुंचना लोगों के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल है। इस शहर तक पहुंचने के लिए रामेश्वर से पंबन द्वीप को पार करना पड़ता है। धनुषकोडी की यात्रा कई मछली पकड़ने वाले गांवों से शुरू होती है। धनुषकोडी, भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र ऐसी सीमा है, जो पाक जलसंधि में बालू के टीले पर मौजूद है।

भूतों का शहर

भूतों का शहर

दिसंबर 1964 में यहां एक बड़े पैमाने पर चक्रवात आया था, जिसकी वजह से शहर तहस-नहस हो गया। च्रकवात में 1,800 लोगों की जान चली गई थी और और 100 यात्रियों वाली एक ट्रेन समुद्र में डूब गई। इसके बाद से सरकार ने शहर को मानव आवास के लिए अनुपयुक्त करारा कर दिया, अभी ये जगह खंडहर में तब्दील हो रखी है। हालाँकि, द्वीप अब लगभग 500 मछुआरों द्वारा बसा हुआ है जो धनुषकोडी में अपनी आजीविका के लिए पूरे शहर में फैले लगभग 50 झोपड़ियों में रहते हैं। धनुषकोडी के दुखद इतिहास की वजह से इसे भूतों का शहर भी कहा जाता है। यहां लोगों को दिन में आने की अनुमति है, लेकिन रात में उन्हें यहां से लौटा दिया जाता है। आपको बता दें, यहां से रामेश्वरम की दूरी 15 किमी है।

पुराणों से संबंध

राम-रावण

धनुषकोडी वो जगह है, जहाँ भगवान राम और उनकी सेना ने रावण के लंका शहर में प्रवेश करने के लिए राम सेतु का निर्माण किया था। भारत में रामेश्वरम द्वीप को श्रीलंका के मन्नार द्वीप से जोड़ने वाले इस पुल को एडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। अभी धनुषकोडी और श्रीलंका के बीच रेतीले तट का एक सुंदर खंड देखा जा सकता है। भगवान राम ने अपनी पत्नी को लंका से छुड़ाकर अपने धनुष के सिरे से पुल को नष्ट कर दिया था। इस प्रकार, शहर का नाम ‘धनुषकोडी’ हो गया, जिसका अर्थ है ‘धनुष का अंत’।

धनुष कोड़ी घूमने के लिए खास

धनुष कोड़ी धार्मिक पौराणिक और प्राकृतिक सभी रूपों में खुबसूरत है। यदि आप रामेश्वर जा रहे है तो आप यहां जरूर जाए। यहां पर आपको कई घूमने के लिए जगह मिलेंगी। आइए जानते है धनुषकोडी के टूरिस्ट प्लेस के बारे में

समुद्र तट

समुद्र तट

आप जिस समुद्र के खूबसूरत किनारे को अपनी कल्पनाओं में देखते हैं उसको आप करीब से देखने के लिए धनुषकोडी जाने की योजना बना सकते हैं। यह पूरी जगह एक खूबसूरत माहौल की वजह से पर्यटकों को अपनी और खींचती है। साफ पानी और अद्भुत समुद्र तट कुछ ऐसा है जो किसी को भी आश्चर्यचकित कर सकता है। यहां कोई विशाल संरचनाएं या होटल नहीं हैं लेकिन यह जगह बेहद साफ़ होने की वजह से आकर्षण का केंद्र है। यह सिर्फ साफ नीला समुद्र है और समुद्र की ओर जाने वाली सड़क सबसे अच्छे परिदृश्य प्रदान करती है।

राम सेतु

राम सेतु

आप सभी ने रामायण में उस सेतु का जिक्र जरूर सुना होगा जिसका निर्माण भगवान राम ने वानर सेना की मदद से किया ताकि लंका तक पहुँच सकें और अपनी पत्नी, सीता को रावण के चंगुल से बचा सकें? यह पुल उसी पुल के रूप में माना जाता है जिसे हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार राम सेतु कहा जाता है। नासा द्वारा निर्मित कुछ ऐसे उपग्रह चित्र हैं जो श्रीलंका और भारत को जोड़ने वाले पानी के नीचे एक पुल की उपस्थिति का संकेत देते हैं।

पम्बन ब्रिज

पवन द्वीप

इसे रामेश्वरन द्वीप के रूप में जाना जाता है, यह भारत और श्रीलंका के बीच स्थित है। यह द्वीप एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल भी है। रामेश्वरम में मंदिरों की सूची कभी खत्म नहीं होती है। लगता है कि हनुमान मंदिर के सामने पत्थर तैर रहे हैं, जो फिर से पौराणिक कहानियों को मजबूत बनाता है। यदि आप कुछ पल प्रकृति की गोद में बैठकर बिताने के बारे में सोच रहे हैं तो एक बार इस खूबसूरत जगह की यात्रा जरूर करें। यहां स्थित पम्बन ब्रिज वास्तव में एक आश्चर्य से परिपूर्ण जगह है। यह पुल अभी दूसरा सबसे लंबा समुद्री पुल है और भारत का पहला समुद्री पुल था। यह पुल महान वास्तुशिल्प उत्कृष्टता को दर्शाता है, यह पाल स्ट्रेट पर है और रामेश्वरम को भारतीय उपमहाद्वीप से जोड़ता है। दुर्भाग्य से पुल को धनुषकोडी से टकराने के बाद वर्ष 1964 में पुल को बड़ी क्षति हुई। लेकिन पुल सिर्फ 48 दिनों के भीतर फिर से बन गया।
रामेश्वरम

अद्भुत समुद्र तटसमुद्र तट प्रेमियों, यह एक ऐसा समुद्र तट है जिसकी आपको अपनी सूची में होने की आवश्यकता है और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिसे आप इसे नहीं देख सकते। समुद्र का किनारा बिल्कुल गंदा नहीं है, यह साफ और शुद्ध है। अधिकांश होने वाला हिस्सा यह है कि ज्वार बहुत अधिक नहीं है और रेत बहुत नरम है।
Kanchan Sanodiya

Recent Posts

2025 के अलग अलग राज्य के बैंक अवकाश | Holidays 2025

भारत को विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का देश माना जाता है। हर दिन देश के…

4 सप्ताह ago

Hindu Festivals 2025 | 2025 में भारतीय त्योहार व बैंक अवकाश | Festivals Calendar 2025

भारत अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है, यहां हर त्योहार हर्षोल्लास…

1 महीना ago

आखिर क्यों 16 श्राद्ध के अंतिम दिन सभी का श्राद्ध करते हैं ?

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की विदाई की जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष…

2 महीना ago

शनाया कपूर से लेकर इब्राहिम अली तक, इन स्टारकिड्स का डेब्यू कब होगा ?

बॉलीवुड में कई सितारों के बच्चों ने साल 2024 में एक्टिंग में डेब्यू किया है।…

2 महीना ago

19 साल की उम्र में मिस यूनिवर्स 2024 खिताब जीतने वाली रिया सिंघा कौन है ?

मिस यूनिवर्स बनने जा सपना तो हर कोई देखता है। मगर कुछ ही लोगों के…

2 महीना ago

जिंदल हाउस से लेकर डिक्सन हाउस तक, दिल्ली के आलिशान घर

दिल्ली सिर्फ दिल वालों की नहीं है। बल्कि शोहरत और आलिशान घर वालों की भी…

2 महीना ago