भारत विविध संस्कृतियों का देश कहा जाता है। यहां पर पत्थर से लेकर पर्वत तक पूजा जाता है।भारत में कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर है जिनकी संस्कृति और सभ्यता करोड़ो वर्ष पुरानी है।और कई ऐसे मंदिर भी है जिनको देखकर आपको लगेगा ये कैसे मंदिर है। और क्यों ये मंदिर बनाए गए है,तो आइए जानते हैं भारत के अजीबो गरीबों मंदिरों के बारे
ओम बन्ना मंदिर(om banna temple)
राजस्थान के पाली से 20 किमी. दूर पाली जोधपुर हाईवे पर एक गांव है चोटिला। यहां ओम बन्ना नामक मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालु बुलेट के सामने माथा टेकते हैं, उसे माला पहनाते हैं और अपनी और अपनों की सलामती की कामना और मन्नत मांगते हैं।आस-पास के रहवासियों और बुजुर्गों का कहना है कि इस दुर्घटना के बाद ओम बन्ना की आत्मा को अक्सर यहां देखा गया।आते-जाते राहगीरों को ओम बन्ना की आत्मा दुर्घटना से बचाती हैं और ड्राइवरों को रात में वाहन चलाते समय सावधान करती दिखाई देने लगी। लोगों की मानें तो ओम बन्ना की आत्मा उस दुर्घटना संभावित क्षेत्र के पास गाड़ियों को या तो रोक देती थी या फिर रफ्तार धीमी कर देती थी। जिससे कि कोई व्यक्ति अकाल मौत न मरे। इतने सालों बाद आज भी इस रास्ते जाने वाला हर वाहन ओम बन्ना और उनकी बाइक से मन्नत मांगने व प्रार्थना करने जरूर जाता है
मंकी टेंपल जयपुर(monkey temple Jaipur)
भारत के सबसे सुंदर शहरों में से एक है। पिंक सिटी के नाम से जाना जाने वाला यह शहर अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं बल्कि यहां के मंदिरों के लिए भी मशहूर है। धर्म अध्यात्म के अनुसार यहां का प्रसिद्ध मंदिर गलताजी मंदिर और कुण्ड भी धार्मिक मान्यताओं से भरा है। जयपुर से लगभग 10 कि.मी. दूरी पर अरावली पहाड़ियों में गलता नाम का मंदिर और कुंड है। यह जगह सात कुण्डों और अनेक मंदिरों के साथ प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है।
अमिताभ बच्चन टेंपल(amitabh bachchan temple)
ये दुनिया में अमिताभ बच्चन का इकलौता मंदिर बताया जाता है. बिग बी के मंदिर में रोज 6 मिनट की फिल्मी आरती करके अमिताभ बच्चन और उनके जूतों की पूजा की जाती है. मंदिर में अमिताभ बच्चन का चालीसा भी पढ़ा जाता है. पूजा होने के बाद सबको प्रसाद भी दिया जाता है. मंदिर में जिस जूते की पूजा की जाती हैं वह जूता अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म अग्निपथ में पहना था.इस मंदिर को साल 2001 में अमिताभ बच्चन के फैन संजय पटौदिया ने बनवाया था. अमिताभ बच्चन ने मंदिर के लिए अपने जूते और कुर्सी भिजवाई थी. बिग बी के मंदिर में उनकी फिल्म अक्स की कुर्सी रखी हुई जिस पर अमिताभ बच्चन की फोटो है। ऐसा उनके अभिन्न शुभचिंतक के द्वारा किया गया है।
डाग टेंपल(dog temple)
इस मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है, जबकि उसके बगल में एक शिवलिंग भी है। सावन के महीने में इस मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है। लोग शिव जी के साथ-साथ कुत्ते (कुकुरदेव) की भी वैसे ही पूजा करते हैं जैसे शिवमंदिरों में नंदी की पूजा होती है। मंदिर के मंदिर के गर्भगृह के अलावा यहां के प्रवेश द्वार पर भी दोनों ओर कुत्तों की प्रतिमा लगाई गई है। यहां ऐसी मान्यता है कि कुकुरदेव का दर्शन करने से न कुकुरखांसी होने का डर रहता है और न ही कुत्ते के काटने का खतरा रहता है
वीजा टेंपल(visa temple)
हैदराबाद के चिल्कुर बालाजी मंदिर को ‘वीजा टेंपल’ भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां विराजे भगवान बालाजी को नारियल चढ़ाने से लोगों को आसानी से वीजा मिल जाता है। अन्य मंदिरों की तरह यहां दानपेटी नहीं होती। अगर मन्नत पूरी हो जाए तो यहां आकर मंदिर के 108 परिक्रमा करनी पड़ती है यह एक प्रकार से भगवान को धन्यवाद देना होता है ।
डाकू ददुआ टेंपल(daku dadua temple)
35 साल के इतिहास में ददुआ हर बार पुलिस पर भारी पड़ा। 1986-87 में जब पाठा के जंगल में पुलिस भूख और मच्छरों के कहर से बिलबिला रही थी तो उसने खाकी को रसद भेजी। पुलिस से उसकी पहली और आखिरी मुठभेड़ 2007 में ही हुई। किडनैपिंग, सरकारी ठेकों से कमिशन, व्यापारियों से चौथ वसूलता था। उसके आदेश के बिना जंगलों में तेंदूपत्ता (बीड़ी का पत्ता) नहीं तोड़ा जाता था। उसके आतंक से मानिकपुर के कई घरों में अब तक ताले लटके हैं। 2010 में उसकी करोड़ों की प्रॉपर्टी सीज की गई। क्या दौर है आजकल डाकू ओ की भी पूजा अर्चना होती है
चाइनीज काली मंदिर(Chinese Kali Temple)
कोलकाता का काली मंदिर देश के बाकी काली मंदिर से अलग है। क्योंकि इस मंदिर में चीनी पुजारी हैं। जो अपने अनुसार मां काली की पूजा करते हैं। इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप नूडल्स और फ्राइड राइस दिया जाता है। इसके अलावा मंदिर में चॉप्सी, चावल और सब्जियों से बनी चीजें चढ़ाई जाती हैं। इस मंदिर में हाथ से बने पेपर को जलाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
सोनिया गांधी का मंदिर(sonia gandhi temple)
2014 में तेलंगाना राज्य बनाने के लिए, कांग्रेस सरकार के फैसले को धन्यवाद करने के रूप में, आंध्र प्रदेश के विधायक ने अपनी बेटी सुष्मिता के नाम पर पंजीकृत बैंगलोर-हैदराबाद राजमार्ग के पास जमीन के एक टुकड़े में एक मंदिर बनवाया। 500 किलोग्राम वजन की कांस्य प्रतिमा एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मूर्तिकार द्वारा बनाई गई थी, जो संयोग से सीमांध्र क्षेत्र से संबंधित है।