रंगनाथ जी मन्दिर से लेकर तिरुपति बालाजी तक भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर

Beautiful temple of India

भारत में कई मंदिर हैं जिनकी सुंदरता देखकर ही लोग अचंभित हो जाते हैं। इनकी बनावट और वास्तुकला इतनी प्राचीन है कि लोक कल्पना भी नहीं कर पाते हैं कि यह मंदिर बने कैसे होंगे। इन मंदिरों का इतिहास किसी ना किसी पौराणिक या ऐतिहासिक घटना से जुड़ा हुआ है। इनका इतिहास कितना पुराना है कि आपको ताज्जुब होगा कि ऐसा भी कभी हुआ होगा। सिर्फ इनका इतिहास ही नहीं इनकी सुंदरता भी लोगों को आकर्षित करती है। इनकी सुंदरता का व्याख्यान कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है। तो चलिए आपको बताते हैं भारत के 10 खूबसूरत मंदिरों के बारे में

रंगनाथस्वामी मंदिर(rangnathswami mandir)

Shreerangnath ji temple
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर भगवान श्री हरी विष्णु को समर्पित है

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर भगवान श्री हरी विष्णु को समर्पित है। यह हिन्दुओं और खास तौर से वैष्णवों के लिए एक मुख्य तीर्थस्थल है।यह मंदिर विश्व के सबसे क्रियाशील मंदिरों में शामिल है। यह मंदिर लगभग 156 एकड़ के क्षेत्र में बना हुआ है। इस मंदिर का परिसर 7 संकेद्रित दीवारों के अनुभागों और 21 गोपुरम से बना हुआ है। यह मंदिर द्रविड़ियन युग की अद्भुत स्थापत्य व वास्तु कला का नमूना है। यह तमिलनाडु के श्रीरंगम में स्थित है। श्रीरंगम को तिरुवरंगम और तिरुचिरापल्ली के नाम से भी जाना जाता है।

थिल्लई नटराज मंदिर(natraj mandir)

Natraj mandir
यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है

यह प्राचीन मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 2000 वर्ष पहले 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में पल्लव काल की संस्कृति और कला का अक्स दिखता है। यह स्थान पहले भगवान श्री गोविंद राजास्वामी का था। एक बार शिव सिर्फ इसलिए उनसे मिलने आए थे कि वह उनके और पार्वती के बीच नृत्य प्रतिस्पर्धा के निर्णायक बन जाएं। गोविंद राजास्वामी निर्णायक बनने के लिए तैयार हो गए।शिव-पार्वती के बीच नृत्य प्रतिस्पर्धा चलती रही। जब काफी देर तक प्रतिस्पर्धा में दोनों में से कोई भी एक.दूसरे से कम नहीं दिखा तो ऐसे में शिव विजयी होने की युक्ति जानने के लिए श्री गोविंद राजास्वामी के पास पहुंच गए। उन्होंने एक पैर से उठाई हुई मुद्रा में नृत्य करने का संकेत दिया। यह मुद्रा महिलाओं के लिए वर्जित थी। ऐसे में जैसे ही भगवान शिव नृत्य की इस मुद्रा में आए, तो पार्वती जी ने हार मान ली। इसके बाद ही शिव जी का नटराज स्वरूप यहां पर स्थापित किया गया।

मीनाक्षी मंदिर(minakshi mandir)

Meenakshi temple
मीनाक्षी मंदिर की स्थापना खुद भगवन इंद्रदेव ने की थी

माना तो यह जाता है की मीनाक्षी मंदिर की स्थापना खुद भगवन इंद्रदेव ने की थी. अपने कुकर्मों के लिए जब पश्चाताप पर इन्द्र निकले हुए थे, और जब वो मदुरई के स्वयंभू लिंगम पहुंचे तो उन्हें लगा की उनके सर से एक बोझ कम हो गया है. तभी उन्होनें उस स्थान पर एक भव्य मंदिर की परिकल्पना की।सुप्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर मंदिर तमिलनाडु के मदुरई शहर के मध्य क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर पार्वती (मीनाक्षी रूप में) और शिव को समर्पित है. इस मंदिर में 33000 से ज्यादा मनोहर प्रतिमाएं मौजूद हैं और प्रवेश द्वार पर अनोखे गोपुरम भी बने हैं। इस मंदिर का सौन्दर्य अतुलनीय है

अक्षरधाम मंदिर(akshardham mandir)

Akshardham mandir
अक्षरधाम मंदिर भारत के आध्यात्मिक इतिहास, वास्तु और शिल्प कला का एक बेहतरीन नमूना है

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित अक्षरधाम मंदिर भारत के आध्यात्मिक इतिहास, वास्तु और शिल्प कला का एक बेहतरीन नमूना है। हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश के पर्यटक इस मंदिर में आते हैं। इस मंदिर में 20 हजार से भी ज्यादा मूर्तियाँ मौजूद हैं।अक्षरधाम मंदिर की प्रमुख विशेषता यह है कि इसे बनाने के लिए न तो स्टील इस्पात और न ही कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है। बल्कि यह मंदिर गुलाबी बलुआ और सफ़ेद संगमरमर के मिश्रण से तैयार किया गया है।महेश योगी के द्वारा दिए गए वास्तुकला सिद्धांत पर स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का निर्माण किया गया है. लेकिन इसके अलावा इस मंदिर के निर्माण में भारत की अन्य कई वास्तुकलाओं और शिल्पकालों को भी मिश्रित और सम्मिलित किया गया है।

बेलूर मठ(Belur Math)

Belur Math
बेलूर मठ में आपको कई धर्मों की कला और आर्किटेक्चर का मिश्रण दिखता है।

यह मठ स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है। यह हावरा जिले में हुगली नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।बेलूर मठ में आपको कई धर्मों की कला और आर्किटेक्चर का मिश्रण दिखता है। यहां बड़ी संख्या में पूरे विश्व से विभिन्न धर्मों को मानने वाले सैलानी आते रहते हैं। यहां आपको साम्प्रदायिक एकता, अखंडता, और सर्वधर्म सद्भाव की झलक देखने को मिलेगी। किसी भी धर्म को नहीं मानने वाले लोग भी यहां आकर शांति का अनुभव करते हैं।

सोमनाथ मंदिर(somnath mandir)

Somanth मंदिर
सोमनाथ मंदिर को भारत के बारह महा ज्योतिर्लिंगों में से एक है

सौराष्ट्र, गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर को भारत के बारह महा ज्योतिर्लिंगों में प्रथम माना जाता है. अपने हज़ारों वर्ष पुराने इतिहास में यह मंदिर कई बार ध्वंश हुआ है और कई बार नए रूप से निर्मित. इस मंदिर को एक अहम् तीर्थस्थल माना जाता है।सोमनाथ का यह मंदिर 150 फीट ऊंचा है और गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप इन तीन भागों में विभाजित है। इस मंदिर के शिखर पर स्थित कलश 10 टन वजनी है और यहां 27 फीट ऊंचा ध्वजा सदैव इस मंदिर की शोभा को बढ़ाता है।

जगन्नाथ पुरी(jagannath puri)

Jagannath mandir
ये मंदिर हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है

ओडिसा के पूरी शहर में महानदी के किनारे स्थित ये मंदिर हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है। यहां नीम की छाल से बनी भगवान जगन्नाथ की मूर्ती स्थापित है।जगन्नाथ मंदिर 214 फुट ऊँचा ,20 फुट ऊँची दीवारों से घिरा और चार लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है यह मंदिर कलिंग शैली में बना है। इस मंदिर के शिखर पर बना सुदर्शन चक्र (नील चक्र) अष्ट धातुओं से बनाया गया है।

बृहदीश्वरर मंदिर तंजावुर(Brihadeeswar mandir)

Brihadishwar mandir
बृहदीश्वरर मंदिर सबसे विशाल मंदिरों में से एक है

तमिलनाडु में स्थित बृहदीश्वरर मंदिर सबसे विशाल मंदिरों में से एक है. चोला शाशकों द्वारा निर्मित यह देवस्थान द्रविड़ शिल्पकला कला का एक बेहतरीन नमूना है।मंदिर का निर्माण 1003-1010 ईसवी के बीच चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने करवाया था। उसके नाम पर इसे राजराजेश्‍वर मंदिर का भी नाम दिया गया है।13 मंजिला बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। मंदिर भगवान शिव की आराधना को समर्पित है।करीब 216 फीट की ऊंचाई वाले इस मंदिर को 130,000 टन ग्रेनाइट के पत्‍थरों से बनाया गया है।

खजुराहो का मंदिर(khajuraho mandir)

Khajuraho Mandir
खजुराहो के मंदिर अपने कामुक शिल्पकलाओं के लिए विश्वभर में प्रसिद्द हैं

खजुराहो के प्राचीन मंदिर अपनी भव्यता और अप्रतिम सौन्दर्य के कारण सालों से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। खजुराहो के मंदिर अपने कामुक शिल्पकलाओं के लिए विश्वभर में प्रसिद्द हैं।खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ई. से 1050 ई. के बीच करवाया गया था। यहां के सभी मंदिरों की दीवारों पर कामसूत्र में वर्णित अष्ट मैथुन का सजीव चित्रण देखते ही बनता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर(Tirupati Balaji mandir)

Tirupathi Balaji mandir
तिरुपति बालाजी मंदिर को एक चमत्कारी मंदिर है

तिरुपति बालाजी मंदिर को एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है। इस मंदिर के विषय में ऐसी कई बातें लोग बताते हैं जो अविश्वसनीय प्रतीत होती हैं लेकिन भक्तों को इन बातों पर पूरा विश्वास है, और यह भी कारण है।इस मंदिर का इतिहास भी उतना ही शानदार है जितना कि यह मंदिर. कई शताब्दियों पूर्व निर्मित इस प्राचीन मंदिर की सुंदरता और भव्यता को देखकर पर्यटक आज भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं. यह मंदिर दक्षिण भारत की शिल्पकला और वास्तुकला का अनूठा संगम है।5वीं शताब्दी में यह हिन्दुओं का एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन चुका था. चोल, होयसर और विजयनगर के शासकों ने बालाजी मंदिर के निर्माण के लिए धन देकर सहायता की थी. 9वीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इस जगह पर अपना अधिकार कर लिया था. 15वीं शताब्दी के बाद इस मंदिर की विशेष रूप से प्रसिद्धि होने लगी

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