महावीर भगवान का जन्मकल्याणक महोत्सव हर बार की तरह इस बार भी बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया ।आज के वातावरण में निरंतर बढ़ते हुए अपराध,भ्रष्टाचार,अंतरराष्ट्रीय अराजकता और विश्वयुद्ध जैसे माहौल से हमारी मानसिक शांति और सुकून खो चुका है,जिस प्रकार जीवन जीने के लिए हवा,पानी और भोजन की आवश्यकता होती है ,उसी प्रकार स्वस्थ मानसिकता और आत्मिक विकास के लिए जीवन में धर्म की भी आवश्यकता होती है।
महावीर भगवान जिन्होंने “जियो और जीने दो,अहिंसा परमो धर्मः और अनेकांतवाद” जैसे अनेक संदेश जन-जन तक पहुंचाए है, हमें इस बात का गर्व है कि हम उन महावीर प्रभु की संतान है जिन्होंने ना सिर्फ भारतवर्ष को अपितु समूचे विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाया है ।स्व-पर कल्याणमय यह जैन धर्म उस दिये की लौ के समान है जो घने अंधियारे में भी हमारा मार्ग प्रशस्त करती है।जीवन जीने की कला सिखाने वाले महावीर भगवान जो प्रेरणाएं और शिक्षाएं हमें देकर गए है,उन्हें स्वयं के जीवन में और आने वाली युवा पीढ़ी के जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है।
maजैनम् जयतु शासनम् तभी होगा जब जैन धर्म केवल नाम से ही नहीं बल्कि हमारे जीवन से भी चरितार्थ हो,हमारी आने वाली पीढ़ी को हम संस्कारित करें और सच्चा जैन बनाएं,साथ ही दया,करुणा,प्रेम,मैत्री और भाईचारे की भावना को जाग्रत करें तभी हमारा महावीर स्वामी जन्म कल्याणक मनाना सफल होगा ।