Kaal Bhairav ka rahasya: महादेव का काल भैरव अवतार है बेहद खास, जानिए क्यों करते हैं वह मदिरापान?

Kaal Bhairav ka rahasya

Kaal Bhairav ka rahasya: काल भैरव का पूरे भारत में सबसे बड़ा मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है। यहां पर भक्तजन बाबा भैरव को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाते है। बता दें, इस मंदिर में साल के 365 दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

काल भैरव को प्रसाद में चढ़ाने के लिए बाहर छोटी-बड़ी सभी प्रकार की शराब की दुकानें लगी है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठता है कि आखिरकार यह बाबा भैरव कैसे शराब को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। चलिए आज हम सबसे पहले यह जानते है कि काल भैरव का मतलब क्या होता है?

Kaal Bhairav ka rahasya
Kaal Bhairav ka rahasya in hindi

काल भैरव नाम का मतलब

भैरव शब्द का अर्थ ही होता है भरण-पोषण करने वाला। काल भैरव की चर्चा रुद्रयामल तंत्र और जैन आगमों में भी विस्तारपूर्वक की गई है। शास्त्रों के अनुसार कलियुग में काल भैरव की उपासना जल्दी फल देने वाली होती है। उनके दर्शन मात्र से शनि और राहु जैसे क्रूर ग्रहों का भी कुप्रभाव समाप्त हो जाता है। काल भैरव की सात्त्विक, राजसिक और तामसी तीनों विधियों में उपासना की जाती है।

उज्जैन में काल भैरव की मूर्ति पूरी शराब पी जाती है?

भक्तजन लाइन में लगकर बाबा भैरव के दर्शन के लिए आते है। ऐसे में वह प्रसाद के रूप में शराब ले जाते है। काल भैरव के मंदिर आने पर वहां के पंडित शराब की बोतल को खोलते हैं और एक प्लेट में डालकर भैरव के मुंह के पास शराब से बढ़ी प्लेट रख देते है। काल भैरव की मूर्ति के पास आते है शराब से बढ़ी प्लेट खत्म हो जाती है। यह नजारा देखने में काफी ज्यादा अविश्वसनीय सा प्रतीत होता है।

Kaal Bhairav ka rahasya
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क्यों चढ़ाई जाती है बाबा भैरव को शराब?

काल भैरव को शराब क्यों चढ़ाई जाती है, इसके बारे में किसी भी व्यक्ति को नहीं पता। मगर सभी का अलग-अलग मत सामने आता है। जैसे कुछ लोगों का कहना है कि काल भैरव को शराब चढ़ाकर आप अपनी बड़ी-से-बड़ी मन मांगी मुराद आसानी से हासिल कर सकते है।

काल भैरव की उपासना करने से क्या फल मिलता है?

काल भैरव की उपासना करने से बहुत जल्दी फल की प्राप्ति होती है। बता दें, भैरव की उपासना करने से क्रूर ग्रहों के प्रभाव समाप्त हो जाते है। शनि की पूजा बढ़ी है। अगर आप शनि या राहु के प्रभाव में हैं तो शनि मंदिरों में शनि की पूजा में हिदायत दी जाती है,

कि शनिवार और रविवार को काल भैरव के मंदिर में जाकर उनका दर्शन करें। साथ ही मान्यता यह भी है कि 40 दिनों तक लगातार काल भैरव का दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है। इस प्रक्रिया को चालीसा कहते हैं। चन्द्रमास के 28 दिनों और 12 राशियां जोड़कर ये 40 बने हैं।