कहते हैं ईश्वर आपसे कुछ छिनता है. तो बदले में वह आपको कुछ नायब हुनर से भी नवाज देता है. जिनके दम पर आप दुनियां जीत लेते हो. इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण16 साल की शीतल देवी है, जिसने हाथ न होने के बाबजूद भी एशियाई पैरा गैम्स प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. और तीरंदाजी में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रौशन किया. इस लेख में हम आपको शीतल देवी के जन्म से लेकर अब तक के सफर के और उनके संघर्ष के बारे में बताएंगे.तो चलिए जानते हैं,16 साल की उम्र में अपने हुनर से लोगों का दिल और देश के लिए मेडल जीतने वाली शीतल देवी के बारे में.
शीतल देवी कहां की रहने वाली है(sheetal Devi birth place)
शीतल देवी जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ के लोइधर गांव की रहने वाली हैं.उनका जन्म 2008 में हुआ था.शीतल का जन्म फोकोमेलिया के साथ हुआ था.यह एक दुर्लभ जन्मजात बिमारी है. जिसके कारण अंग अविकसित होते हैं. शीतल के माता-पिता चावल और सब्जी के खेतों में काम करते थे. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.इसके बाबजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी. और अपनी मेहनत के दम पर सफलता हासिल की.
शीतल देवी तीरंदाज कैसे बनी(How did Sheetal Devi become an archer)
स्कूल जाने वाली लड़की से एशियाई पैरा गेम्स पदक में पदक विजेता बनने का सफर शीतल देवी का तब शुरू हुआ.जब शीतल ने 2021 में किश्तवाड़ में भारतीय सेना के एक युवा कार्यक्रम के लिए नामांकन किया. शीतल ने अपनी एथलेटिक प्रतिभा के कारण स्काउट्स का ध्यान आकर्षित किया.सेना ने शीतल के लिए कृत्रिम हाथ के लिए बेंगलुरु में मेजर अक्षय गिरीश मेमोरियल ट्रस्ट से संपर्क किया. ट्रस्ट ने स्टोरीटेलिंग प्लेटफॉर्म Being You से संपर्क किया.हालांकि, प्रोस्थेटिक फिट नहीं हुआ.ऐसा लग रहा था कि शीतल का खेल करियर समय से पहले ही खत्म हो जाएगा.शीतल को लगा कि अब वह खेल करियर को आगे नहीं बढ़ा पाएंगी.लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं खोई.और वह घर पर पेड़ों पर चढ़ने लगी. पेड़ो पर चढ़ने से उनकी मांसपेशियां विकसित हो गई.शुरुआत में जब उन्होंने तीरंदाजी में जाने के बारे में सोचा तो उनके लिए धनुष उठाना भी मुश्किल था.लेकिन अभ्यास के साथ उन्होंने इसमें महारत हासिल कर ली.
शीतल देवी ने ट्रेनिंग ली(sheetal Devi traning)
शीतल ने कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में पैरा-तीरंदाज प्रशिक्षण लिया. उन्होंने कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवा से प्रशिक्षण लिया. शीतल के लिए, प्रशिक्षकों ने नियमित आर्च रिलीज़र को शोल्डर रिलीज़र में बदल दिया.शीतल ने प्रतिदिन 50-100 तीर फेंकने से शुरुआत की.धीरे-धीरे ये संख्या 300 तक पहुंच गई थी। 6 महीने बाद उन्होंने पैरा ओपन नेशनल्स में रजत पदक अपने नाम कर लिया.
शीतल ने गोल्ड मेडल जीता (sheetal won the medal)
शीतल ने जुलाई में पैरा विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में सिंगापुर की अलीम नूर एस को 144.142 से हराकर गोल्ड जीता था.और हाल ही में हुए चीन के हांगझू में एशियाई पैरा खेलों में उन्होंने तीरंदाजी में महिला युगल स्पर्धा में रजत और महिला कंपाउंड ओपन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता.
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आनंद महिंद्रा ने की शीतल की तारीफ(Anand Mahindra praised Sheetal)
मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा भी शीतल के हुनर के कयाल हो गए. उन्होंने ट्विटर पर शीतल देवी का वीडियो पोस्ट करके लिखा की.मैं अपने जीवन में कभी भी छोटी-मोटी समस्याओं के बारे में शिकायत नहीं करूँगा. #शीतलदेवी आप हम सभी के लिए एक शिक्षक हैं.कृपया हमारी श्रेणी में से कोई भी कार चुनें और हम इसे आपको पुरस्कृत करेंगे.और इसे आपके उपयोग के लिए अनुकूलित करेंगे.
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