पीवी सिंधू के गोल्ड के आगे फीका पड़ा पैरा शटलर मानसी जोशी का स्वर्ण पदक

manasi joshi win gold

स्विट्जरलैंड के बासेल में वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में पहला गोल्ड मेडल जीतकर स्टार शटलर पीवी सिंधू ने दुनिया भर में भारत का नाम रौशन किया है। बासेल में देश का नाम रोशन करने वाली सिंधु अकेली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी नहीं थीं बल्कि मानसी जोशी (Manasi Joshi) ने भी पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप (Para World Badminton Championship) में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है।

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मानसी जोशी ने पीवी सिंधू से कुछ ही घंटे पहले गोल्ड जीता लेकिन सिंधू की जीत के आगे बाकि खिलाड़यों का मेडल फीका सा दिखने लगा। भारत के दो पैरा शटलर मानसी जोशी और प्रमोद भगत ने भी इसी चैंपियनशिप के गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।

वर्ल्ड पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली मानसी जोशी का जीवन इतना आसान नहीं रहा है।

राजकोट की रहने वाली मानसी जोशी ने नौ साल की उम्र से ही इस खेल में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी थी। स्कूल और डिस्ट्रिक्ट स्तर पर कई टूर्नामेंट में सफलता हासिल की लेकिन साल 2011 में एक भयानक सड़क दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को एक अलग ही मोड़ दे दिया। इस सड़क दुर्घटना में मानसी को अपना बायां पैर गंवाना पड़ा था हादसे के बाद मानसी 50 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहीं। लेकिन खेल के प्रति उनका जज्बा कम नहीं हुआ उन्होंने फिर खेलना शुरू किया और हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद की अकादमी में रजिस्ट्रेशन कराया।

मानसी ने 2015 में इंग्लैंड में हुई पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिक्‍स्ड डबल्स का रजत पदक हासिल किया और 2017 में साउथ कोरिया के उल्सान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी मानसी ने कांस्य पदक हासिल किया था। लेकिन मानसी का लक्ष्य गोल्ड मॉडल जितना था और तभी से 2019 में होने वाले इस चैंपियनशिप के लिए मेहनत करना शुरू कर दिया था और हादसे के आठ साल बाद 2019 में मानसी यह स्वर्णिम कामयाबी हासिल करने में सफल रहीं उन्होंने इस मैच में हमवतन पारुल परमार को हराकर स्वर्ण पदक को अपने नाम किया है।

अपने सफर के बारे में बात करते हुए मानसी ने कह, “मैं 2015 से बैडमिंटन खेल रही हूं। विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा होता है। मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है…मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया। मैंने जिम में अधिक समय बिताया, सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की।”

जोशी ने बताया कि वह चलने के लिए अब नए वॉकिंग प्रोसथेसिस सॉकेट का उपयोग कर रही हैं। इससे पहले वह पांच साल से एक ही सॉकेट का इस्तेमाल कर रही थीं जिसके कारण वर्कआउट के दौरान उनकी रफ्तार धीमी हो रही थी।

30 साल की इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर मानसी के पिता गिरीश जोशी भाभा ऑटोमिक रिसर्च सेंटर में बतौर वैज्ञानिक काम किया करते थे. उनके दो बेटी और एक बेटा है. तीनों बच्चे अपने पिता को आदर्श मानते हैं जो खुद भी एक टेनिस खिलाड़ी रह चुके हैं.मानसी के पिता ने बताया कि मानसी का अगला लक्ष्य अगले साल होने वाले पैरालिंपिक खेल हैं।

मानसी की सफलता पर हर कोई अब सोशल मीडिया पर बधाई दे रहा है। पूर्व आईपीएस ऑफिसर व पुडुचैरी की गवर्नर किरन बेदी ने मानसी को ट्विटर पर बधाई देते हुए लिखा कि पीवी सिंधू के गोल्ड मेडल की जश्न में हम मानसी की कामयाबी पर उन्हें बधाई देना भूल गए।

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