भारत के बेहतरीन आलराउंडर प्लेयर और वर्ल्डकप 2011 में भारतीय जीत में अहम भूमिका निभाने वाले क्रिकेटर युवराज सिंह ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। मुंबई के एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करते हुए युवी ने इसकी घोषणा की।
युवराज ने कहा कि यह उनके लिए काफी भावनात्मक पल है और उनका करियर एक रोलर-कोस्टर की तरह रहा है। क्रिकेट में 25 और अंतरराष्ट्रीय क्रिेकेट में 17 साल के उतार-चढ़ाव के बाद मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इस खेल ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है कि कैसे लड़ना है, कैसे गिरना है, फिर से उठना है और आगे बढ़ना है।
वर्ल्ड कप जीतना मेरे लिए सपने की तरह था
संन्यास का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं बचपन से ही अपने पिता के नक्शेकदम पर चला और देश के लिए खेलने के उनके सपने का पीछा किया। मेरे फैन्स जिन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया, मैं उनका शुक्रिया अदा नहीं कर सकता। मेरे लिए 2011 वर्ल्ड कप जीतना, मैन ऑफ द सीरीज मिलना सपने की तरह था। इसके बाद मुझे कैंसर हो गया। यह आसमान से जमीन पर आने जैसा था। उस वक्त मेरा परिवार, मेरे फैन्स मेरे साथ थे।’
2011 वर्ल्डकप के समय कैंसर से जुझते हुए भी उन्होंने प्रदर्शन किया और इस वर्ल्ड कप में उन्होंने 362 रन और 15 विकेट अपने नाम किए थे। विश्व कप में उनके शानदार खेल के लिए उन्हें मैन ऑफ द टूर्नमेंट चुना गया था।
वर्ल्ड कप 2011 के बाद युवराज सिंह के फेफड़े में कैंसर ट्यूमर डिटेक्ट हुआ था और उन्हें इसके इलाज के लिए लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा था। पर फिर उन्होंने न केवल भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी की बल्कि अपने शदर प्रदर्शन से एक बार अपनी छाप छोड़ी।
सबकुछ सोचा हुआ नहीं होता
संन्यास के फैसले को लेकर पूछे गए सवाल पर युवराज ने कहा, ‘सफलता भी नहीं मिल रही थी और मौके भी नहीं मिल रहे थे। 2000 में करियर शुरू हुआ था और 19 साल हो गए थे। उलझन थी कि करियर कैसे खत्म करना है। सोचा कि पिछला टी-20 जो जीते हैं, उसके साथ खत्म करता तो अच्छा होता, लेकिन सबकुछ सोचा हुआ नहीं होता। जीवन में एक वक्त आता है कि वह तय कर लेता है कि अब जाना है।’
संन्यास को लेकर की मां और पत्नी से बात
‘मैं 2 साल से संन्यास पर मां और पत्नी से बात कर रहा था। पिता ने कहा कि जब कपिल देव को वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना गया होगा, तो उन्होंने क्या सोचा होगा, लेकिन जब तुमने वर्ल्ड कप जीता था, तब वे कितने खुश हुए होंगे। मेरे पिता को मेरे संन्यास लेने के फैसले पर कोई परेशानी नहीं हुई।’
बता दें कि युवराज इस साल IPL में मुंबई इंडियंस की ओर से खेलते नजर आए थे, लेकिन उन्हें अधिक मौके नहीं मिल पाए। युवी ने इस साल आईपीएल में मुंबई इंडियंस की तरफ से 4 मैचों में कुल 98 रन बनाए. इस दौरान उनका बेस्ट स्कोर 53 रन रहा।
युवराज सिंह पिछले दो साल से टीम इंडिया के लिए किसी भी फॉर्मेट में क्रिकेट नहीं खेल रहे थे. खराब फॉर्म और फिटनेस के कारण वह भारतीय टीम से बाहर चल रहे थे। शायद यही वजह है की उन्होंने पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया।
आईसीसी से मान्यता प्राप्त विदेशी टी-20 लीग में फ्रीलांस कैरियर बनाना चाहते हैं।