होलिका दहन की कहानी तो सभी को पता होगी की कैसे हिरणाकश्याप की बहन होलिका के षडयंत्र से भगवान विष्णु ने भक्त पहलाद को बचाया था। होलिका दहन का अपना महत्व है वैसे ही रंग पंचमी का भी अपना महत्व है।रंग पंचमी का यह दिन देवी देवताओं को समर्पित होता है। रंग पंचमी का पौराणिक महत्व है।रंग पंचमी के दिन पूजा पाठ करने से व्रत रखने से आपके सभी कष्ट दूर हो सकतें हैं।तो चलिए आपको बताते हैं क्या महत्व है
रंग पंचमी का पौराणिक महत्व(Mythological Significance of Rang Panchami)
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार तामसिक और राजसिक गुणों पर सत्त्वगुण (पवित्रता) की जीत और विजय का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि आध्यात्मिक विकास के मार्ग में आने वाली बाधाएं जल्द समाप्त हो जाएंगी। रंग पंचमी त्योहार पांच प्रमुख तत्वों को सक्रिय करने में मदद करता है। इन पांच प्रमुख तत्वों में हवा, आकाश, पृथ्वी, जल और प्रकाश शामिल हैं। पुराणों के अनुसार, मनुष्य का शरीर भी इन्हीं पंच तत्त्वों से मिलकर बना हुआ है। त्रेतायुग के प्रारंभ में जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था। धूलि वंदन से आशय ये है कि ‘उस युग में श्री विष्णु ने अलग-अलग तेजोमय रंगों से अवतार कार्य का आरंभ किया। अवतार निर्मित होने पर उसे तेजोमय, अर्थात विविध रंगों की सहायता से दर्शन रूप में वर्णित किया गया है। होली ब्रह्मांड का एक तेजोत्सव है। ब्रह्मांड में अनेक रंग आवश्यकता के अनुसार साकार होते हैं और संबंधित घटक के कार्य के लिए पूरक व पोषक वातावरण की निर्मित करते हैं।
रंग पंचमी पर हवा में अबीर-गुलाल उड़ाने का महत्व(Significance of blowing Abir-Gulal in the air on Rang Panchami)
रंग पंचमी के दिन लोग हवा में अलग-अलग फूलों से सुगंधित अबीर-गुलाल को उड़ाते है। मान्यता है कि पंचमी तिथि पर रंगों के उत्सव से दैवीय शक्ति का असर ज्यादा होता है जिससे नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव बहुत ही कम हो जाता है। रंग पंचमी पर उड़ाए गए अलग-अलग रंगों से इकट्ठा हुए शक्ति के कण अनिष्ट शक्ति से लड़ते हैं। जिस कारण से मनुष्य के जीवन में दैवीय शक्तियों का प्रभाव बन रहता है और जीवन में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा रहती है।