करण पटेल की पत्नी अंकिता भार्गव ने बताया अपने मिसकैरेज का दर्द

Karan patel ankita bhargav

मेने ऐसा कुछ नहीं किया जो गलत था न हो मेरी बॉडी में कुछ गलत था और सबसे बड़ी बात मेरे अजन्मे बच्चे के साथ भी कुछ भी गलत नहीं था। बस इतना ही की मेरा अजन्मा बच्चा इस दुनिया में जल्दी आ गया मुज़से मिलने लेकिन में अपने बच्चे का चेहरा भी नहीं देख सकी। हमने उस बच्चे के लिए बहुत प्रार्थना की थी बहुत ज्यादा प्रार्थना।

खालीपन को स्वीकार करना

मुझे याद हे वो खालीपन और उसके बाद कई महीनो तक भगवान से नफरत की ।पहले मुझे और करण को नहीं पता था की इस दुःख से कैसे निकले क्योकि इसका कोई तरीका नहीं था। हमारी कोशिशे एक दूर इ विरुद्ध हो गई। में चाहती थी की करण मेरे साथ हो और हम साथ में इस दुःख को फेस करे लेकिन उसे लगता था की मेरा दुःख उसके दुःख को देख कर और ज्यादा बढ़ जायगा। इसलिए जब भी हम साथ होते थे वो मुझे उसका नॉर्मल होना शो करता था ताकि मे हल्का महसूस कर सकू लेकिन इसने हम दोनों अकेले अकेले दुखी हो गए । एक दिन मेने उससे कहा की हम दोनों एक दूसरे को पकडे और इस दुःख को साथ में बर्दास्त करे और हमने किया ।

इसके बाद हमारा उपचार शुरू हुआ

हम हर रात सोने से पहले रोते थे, छोटी सी बातो में किसी के बेबी शावर के इनविटेशन से, टीवी में बच्चे के रोने से, नेटफ्लिक्स पर किसी सीरीज में कोई कपल का बच्चा एक्सपेक्टेशन से, बच्चो के विज्ञापन से, डॉग के बच्चे देने से हम रोते थे।

दुनिया के हम अपनी नार्मल लाइफ में बहुत जल्दी आ गए लेकिन सिर्फ करण और में ही जानते थे की हमारे दिल का कोई टुकड़ा कितनी बेरहमी से हमसे दूर चला गया। हमारे परिवार और दोस्तों ने हमे इस अँधेरे से निकलने मदद की। लेकिन मेरे लिए मेरे पति सबसे बड़ी ताकत थे स्पेशली उस समय पर उसने मुझे एक साथ पकड़ रखा था।

उस वक़्त मुझे ऐसा लगता था की पूरी दुनिया में बस मै ही हु जिसका मिसकैरेज हुआ था मेरी पूरी दुनिया ही उलट हो गई है।मै इस जिंदगी का मतलब ही नहीं जान पा रही थी मेरे लिए सब बेमतलब था अब।

फिर मुझे अहसास हुआ मेरे आस पास 5 और ऐसी महिलाए है मेरे परिवार में मेरे करीबी दोस्तों में जिसको सेम यही दुःख मिला है मेरी ही जैसी स्थिति में। यह छोटा सा फैक्ट मेरे दुःख को कम तो नहीं कर सका

यह छोटा सा फैक्ट मेरे दुःख को कम तो नहीं कर सका लेकिन मुझे लगा की में अकेली नहीं हु सबसे महत्वपूर्ण मुझे यह विश्वास हुआ की बाकि सब की तरह में भी अपने अजन्मे बच्चे के खोने के दुःख में सर्वाइव कर लुंगी।

चीजों को कठिन बनाने के लिए

मेरे मिसकैरेज के एक हफ्ते के अंदर ही कुछ बिनमतलब कारणों से में ट्रोल होने लगी कुछ लोगो ने कहा की कैसे में ये मिसकैरेज डिज़र्व करती हु, करण डिज़र्व करता है, कैसे मुझे कभी दूसरा बच्चा नहीं होगा, मुझे अपना सबक कैसे सीखना चाहिए, कैसे मुझे पति की उसके अच्छे के लिए छोड़ देना चाहिए और इन सभी में सबसे ज्यादा में बांझ हु और बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं हु।

इन सभी चीजों ने मुझे बुरी तरह दुःख दिया वह मेरी जिंदगी के सबसे पुरे दिन थे ज्यादातर दिन मैं इसे अपने अंदर ही रखा और कुछ दिन मेने इसे बाहर किया।

मेने अपने जवाब ढूंढने की कोशिश की, यह मेरे साथ क्यों हुआ ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? उस आत्मा का क्या होगा जो अचानक लौट गई ? क्या में उस आत्मा से फिर मिल पाउंगी? मै कहा गलत थी? मुझे कोई जवाब नहीं मिला । अभी भी कई जवाब नहीं मिला ।

और अब हमारे पास क्या है, हमारी दूसरी बेटी और उसका नाम हमने मेहर रखा है भगवान की कृपा।और जब में अपनी बेटो को गोद में लेते हु में इतना की कहती हूँ “भगवान आपकी कृपा के लिए धन्यवाद” ।

मेने क्या सीखा

-मिसकैरेज एक सामान्य घटना है जो किसी औरत को डिफाइन नहीं करती।

-जीवन और मौत किसी के हाथ में नहीं है।

– मेरे पहले बच्चे के साथ मेरी यात्रा ऐसी ही लिखी गई थी और मुझे यह स्वीकार करना होगा ।

– दूसरा बच्चा आपको बिजी रख कर आपके पुराने दुखो से दूर कर देता है लेकिन आपके पुराने नुकसान को दूर नहीं कर सकता।

– आपको जन्दगी में विभाजित करना सीखना होगा और और मुश्किल समय का इंतजार करना होगा ।

– कुछ भी तभी होता है जब उसकी किस्मत होगी, हम किसी चीज़ को आगे नहीं बड़ा सकता

-ईश्वर कभी-कभी कठोर होता है लेकिन निर्दयी नहीं

आखरी मगर सबसे महत्वपूर्ण

रोना………

तेज़ रोना , चुपचाप रोना, अपने साथी के साथ रोना, वाशरूम में अकेले रोना, गाड़ी चलते हुए रोना, खाना बनाते हुए रोना, बस रोइये जितना आप चाहते है उतना और जितने समय आप रोना चाहते है उतना यह थेरिपी और इलाज है

मै आशा करती हु यह उन सभी खूबसूरत महिलाओ में मदद करेगा जो अपने अजन्मे बच्चे को याद करती है उनके नाम का हमारे दिन में एक पैच है और मेरे दिल में है अकिआ

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