रजनीकांत ने फिल्म इंडस्ट्री में पूरे किए 44 साल, यहाँ मंदिरो में भगवान की तरह होती है इनकी पूजा

Rajinikanth 44 years in industry

मेगास्टार रजनीकांत ने फिल्म इंडस्ट्री में 44 साल पूरे कर लिए हैं। फैंस सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई दे रहे है। रजनीकांत ने 25 साल की उम्र में 1975 में फिल्म ‘अपूर्वा रागंगाल’ से अपना फिल्मी सफर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड सहित कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया।

रजनीकांत को लेकर उनके फंस की दीवानगी कुछ इस कदर है की उनकी फिल्म रिलीज़ के दिन स्कूल, कॉलेज, ऑफिस में छुट्टी हो जाती है, उनके पोस्टर्स का दूध से अभिषेक होता है यहाँ तक की उनके नाम के मंदिर भी बने है जहा भगवन की तरह उनकी पूजा होती है।

Rajinikanth

आइये इंडस्ट्री में 44 साल पूरे कर चुके रजनीकांत के बारे में कुछ अनसुने किस्से आज हम आपको बताते है

  • 12 दिसम्बर 1950 को बेंगलुरू में जन्म लेने वाले रजनीकांत के जीवन की कहानी बहुत रोचक है। रजनीकांत मराठी फैमिली से हैं. उनके बचपन का नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था इस तरह उनकी मातृभाषा मराठी है न की तमिल। उन्हें तो तमिल भाषा आती भी नहीं थी लेकिन आज वो तमिल फिल्मो के सुपरस्टार है। इसके पीछे भी एक कहानी है. एक दिन रजनीकांत अपने एक्टिंग स्कूल में एक नाटक कर रहे थे. उसी समय तमिल फिल्म इंडस्ट्री के डायरेक्टर के बालचंद्रन की नजर उनपर पड़ी. के बालचंद्रन ने रजनीकांत को अपने पास बुलाकर कहा कि तमिल सीखो. बस फिर क्या था, रजनीकांत ने तुरंत ही तमिल सीखना शुरू कर दिया. और अपनी फिल्मो से नया इतिहास बना दिया ।
  • रजनीकांत एक ऐसे स्टार हैं जिन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। रजनीकांत ने जवानी के दिनों में सबसे पहले कुली का काम किया. थोड़ी और तरक्की की तो कारपेंटर बन गए और फिर बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विस में कंडक्टर की नौकरी करने लगे ।इतने बड़े स्टार होने के बाद भी रजनीकांत अपने पुराने दिनों और गरीबी को नहीं भूले हैं। रजनी भले ही सुपरस्टार हैं लेकिन असल जिंदगी में वे काफी सादगी से रहते हैं।
  • बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विस में ही रजनीकांत का एक दोस्त बना. जिसका नाम था राज बहादुर वे बस ड्राईवर थे। राजबहादुर ने ही रजनीकांत को कुछ बड़ा करने की सलाह दी थी। जब रजनी के घर वालों ने एक्टिंग में सपोर्ट देने से एकदम मना कर दिया तो राजबहादुर और दूसरे साथियों ने मिलकर रजनीकांत के एडमिशन के लिए पैसे इकट्ठे किए और उनका मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में एडमिशन करवा दिया गया। रजनीकांत अब भी अपने दोस्त से मिलने बंगलुरु जाते रहते हैं और अपने बचपन के दोस्त राजबहादुर के साथ गप्पें मारना आज भी उनका फेवरेट काम है।
Rajinikanth with wife latha
  • रजनीकांत की पत्नी का नाम है लता रंगाचारी। साल 1980 में रजनीकांत फिल्म ‘थिल्लू मल्लू’ की शूटिंग कर रहे थे वही फिल्म के सेट पर लता अपने कॉलेज की मैगज़ीन के लिए रजनीकांत का इंटरव्यू लेने आई थीं। यहीं दोनों की पहली मुलाक़ात हुई थी। लता को पहली बार देखते ही रजनीकांत को उनसे प्यार हो गया था। इंटरव्यू के दौरान दोनों काफी कंफटेबल थे, जिसकी खास वजह दोनों का बंगलुरू से कनेक्शन होना। जैसे ही इंटरव्यू खत्म हुआ तुरंत रजनीकांत ने लता को शादी के लिए प्रपोज कर दिया। साल 1981 में दोनों ने शादी भी कर ली. रजनीकांत की दो बेटियां हैं ऐश्वर्या और सौंदर्या। उनकी बड़ी बेटी ऐश्वर्या ने साउथ के मशहूर एक्टर धनुष से शादी की है।
  • रजनीकांत के फैन्स उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। जब भी उनकी कोई फिल्म रिलीज होती है तो पूरे दक्षिण भारत में उनकी बड़ी-बड़ी होर्डिंग पर दूध चढ़ाया जाना आम नज़ारा है. ये मामला इतना बढ़ गया कि इसपर बैन लगाने के लिए एक समाजसेवी ने अदालत में एक याचिका डाल दी। ताकि हजारों लीटर दूध बहने पर रोक लगाई जा सके।
  • कहा जाता है की साउथ के गॉड के नाम से फेमस रजनीकांत का कोई मंदिर भी बना है।दरअसल, वह कर्नाटक का फेमस कोटिलिंगेश्वर मंदिर है। यहां रजनीकांत के 60वें बर्थडे पर उनके फैन्स ने एक शिवलिंग स्थापित किया था। इसका इनॉग्रेशन रजनी के भाई सत्यनारायण राव और बेस्ट फ्रेंड राज बहादुर ने किया था। शिवलिंग पर शिलालेख भी लगाया गया है।
  • अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शिवाजी द बॉस’ की सफल ओपनिंग के बाद रजनी नजदीक के एक मंदिर में भेष बदलकर एक पुरानी शर्ट और लुंगी पहनकर मंदिर में पहुंच गए। किसी ने भी रजनीकांत को नहीं पहचाना.लेकिन उनकी दशा पर दया करके एक गुजराती महिला ने 10 का नोट उनके हाथों में थमा दिया। इसे देखकर रजनीकांत मुस्कुराए और विनम्रता के साथ दस का नोट ले लिया। जब वो सौ रुपए का नोट मन्दिर के दानपात्र में डालने लगे तो महिला शर्म महसूस करने लगी। महिला ने दस का नोट वापस लेकर माफ़ी मांगनी चाही. लेकिन रजनीकांत ने महिला को बहुत ही सुन्दर जवाब दिया

‘हर बार भगवान कोई न कोई रास्ता खोज लेता है ये याद दिलाने के लिए कि उसके दरबार पर मैं एक भिखारी से ज्यादा नहीं हूं। आप केवल एक माध्यम हैं जिसके द्वारा भगवान को ये याद दिलाना था। ये ऊपर वाले का ही एक तरीका है, हम सब उसके सामने कुछ भी नहीं हैं।’

  • जमीन से आसमान तक की उनकी कामयाबी की दास्तां आज लाखों लोगों को प्रेरणा देती है। अपनी हर फिल्म की रिलीज के बाद रजनीकांत हिमालय चले जाते हैं और वहां एकांत में ध्यान करते हैं।

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