भारत के इन हिस्सों की होली क्यों खास होती है

Special Holi in india

होली का त्यौहार सारे भारत में धूम धाम से मनाया जाता है। भारत के साथ ही दुनियां के अन्य हिस्सों में भी होली के रंगो से होली खेली जाती है। होली के दिन लोग अपना जितना भी मनमुटाव होता है। उसे भूलकर धूम धाम से होली मनाते हैं।लोग रंग गुलाल में इतने खो जाते हैं की वह अपना सारा दुख दर्द भूल जाते हैं। वैसे तो सम्पूर्ण भारत में होली का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन आज हम आपको भारत की कुछ खास जगह की होली के बारे में बताएंगे जहां आपको होली में एक बार जरूर जाना चाइए।

बरसाना की लठमार होली(Lathmar Holi of Barsana)

Barsana Holi Festival
बरसाना की लठमार होली

जैसा की हम आपको पहले ही बता चुके है यह त्यौहार पूरे भारत में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा-जिले के नंदगाँव और बरसाना कस्बों में होली का यह त्यौहार बहुत ही अजीबोगरीब तरीके से मनाया जाता है जिसे पूरे भारत में लठमार होली के नाम से जाना जाता है। बता दे बरसाना की लठमार होली एक हफ्ते तक चलती है, जिसमें पुरुष और महिलाएँ रंगों गीतों, नृत्यों और निश्चित रूप से लठमार खेल में लिप्त होते हैं। इस होली की सबसे अलग बात यह है की इसमें महिलायें पुरुषो को लट्ठ से मारती है और पुरुष भाले से अपना बचाव करते है।इस लठमार होली में चोंट लगने से बचने के लिए पुरुष सुरक्षात्मक गियर पहने हुए आते हैं। इस लठमार होली में रंग सभी लोगों के उत्साह को बढाता है और इस खेल में शामिल होने वाले लोग श्रीकृष्ण और उनकी राधा को ‘श्री कृष्ण’ और ‘श्री राधे’ बोलते हुए याद करते हैं। यदि आप इस बार की अपनी होली को अलग ही ठंग से सेलिब्रेट करना चाहते है तो बरसाना की लठमार होली में जरूर शामिल होना चाहिए।

बृज की होली(Holi of Brij)

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वृंदावन की होली

वृंदावन और मथुरा होली मनाने के लिए भारत की सबसे अच्छी जगहें में बृज की होली की बहुत की खास है जिसे वृंदावन और मथुरा में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है जिनमें भारत के अन्य हिस्से से काफी अधिक उत्साह और उमंग देखा जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा ने अपना बचपन मथुरा और वृंदावन के आसपास ब्रज क्षेत्र में बिताया था। इस जगह की होली अपने अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं के कारण दुनिया भर के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। वृंदावन में स्थित बांके-बिहारी मंदिर होली के उत्सवों का आनंद लेने के लिए एक बहुत ही खास जगह है क्योंकि यहां सप्ताह भर चलने वाले होली उत्सव मनाया जाता है।

बसंत उत्सव, शांतिनिकेतन( Basanta Utsav, Shantiniketan)

basant utsav shanti Niketan
होली का यह त्यौहार पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में बड़े ही अलग ढंग से मनाया जाता है

होली का यह त्यौहार पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में बड़े ही अलग ढंग से मनाया जाता है जिसे बसंता उत्सव या वसंत उत्सव के रूप में जाना जाता है। यह उत्सव प्रसिद्ध बंगाली कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा प्राचीन परंपरा को बनाये रखने के लिए एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था। इस बसंत उत्सव / होली के दौरान यहां के छात्र छात्रा रंग-बिरंगे कपडे पहनते हैं और टैगोर की कविताओं पर पारंपरिक नृत्यों के साथ एक विशाल सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। यह उत्सव बंगाली इतिहास और संस्कृति का एक हिस्सा बन गया है, जो बड़ी संख्या में भारतीय और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। जो भी पर्यटक होली मनाने के लिए प्रसिद्ध जगहें के बारे में सर्च कर रहे है उन्हें इस उत्सव का हिस्सा जरूर बनना चाहिए।

लोक होली पुरुलिया(Folk Holi, Purulia)

Folk Holi, Purulia
पुरुलिया जिले में मनाई जाने वाली लोक होली भारत के अन्य हिस्सों से काफी अलग ढंग और रीतिरिवाजो के अनुसार मनाई जाती है

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में मनाई जाने वाली लोक होली भारत के अन्य हिस्सों से काफी अलग ढंग और रीतिरिवाजो के अनुसार मनाई जाती है। यह 3 दिवसीय उत्सव है जो होली के तीन दिन पहले से होली के दिन तक चलता है जिसमे आप आप स्थानीय लोगों के साथ होली खेलने और गाने के साथ-साथ अनूठी लोक कलाओं की एक विस्तृत विविधता का आनंद ले सकते है। इसमें उल्लेखनीय छऊ नृत्य, दरबारी झुमुर, नटुआ नृत्य, और पश्चिम बंगाल के भटकने वाले बैंग संगीतकारों के गीत शामिल हैं जो इस त्यौहार में रंग भर देते है और इसे होली मनाने के लिए भारत की सबसे अच्छी जगहें में से एक रूप में भी बना देते है।

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कुमाऊँ की होली(Kumaon Ki Holi)

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कुमाऊँनी होली देश की फैमस होलियों में से एक है

होली इस क्षेत्र के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो पौष या सर्दियों के महीने से शुरू होता है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कुमाऊँ होली में खुद को रंग के माहौल में रंग लेता है। कुमाऊँनी होली मोटे तौर पर तीन प्रकार की होती है – बैशाखी होली, खादी होली (खड़ी) और महिला होली। बैशाखी होली में, भक्त भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रीय राग गाते हैं। महिला होली भी बैशाखी होली की तरह ही होती है, यहाँ होने वाली भीड़ में केवल महिलाओं का समावेश होता है। खादी होली से तात्पर्य उन नगरवासियों की सभा से है, जो एकजुट होकर गाते हैं। यही विशेषताएं कुमाऊँ की होली को देश की किसी भी होली समारोह से बहुत अलग और आकर्षक बनाती हैं। यदि आप इस बार में होली में कही घूमने जाने को प्लान कर रहे है तो आप इस जगह घूमने आ सकते है।

होला मोहल्ला, आनंदपुर साहिब(hola moholla Holi)

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होला महल्ला आनंदपुर में मनाया जाना वाला सबसे बड़ा त्योहार है

होला महल्ला आनंदपुर में मनाया जाना वाला सबसे बड़ा त्योहार है जिसे स्थानीय लोगो द्वारा बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होला मोहल्ला एक वार्षिक मेला है जो 1701 से चला आ रहा है, जिसे पहली बार 10 वें सिख गुरु गोबिंद सिंह ने होली मनाने के लिए आयोजित किया था। बता दे इस उत्सव में रंग फेंकने के बजाय में नकली युद्धों में मार्शल कौशल का प्रदर्शन किया जाता है। इस तीन दिवसीय भव्य उत्सव में कीर्तन, संगीत और कविता प्रतियोगिताओं के बाद नकली लड़ाई, प्रदर्शन, हथियारों का प्रदर्शन आदि आयोजित किए जाते हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते है।पंजाब राज्य के आनंदपुर साहिब में मनाया जाना वाला होला मोहल्ला होली मानाने के लिए भारत की सबसे अच्छी जगहें में से एक है जिसे आप अपनी इस बार होली में घूमने के लिए सिलेक्ट कर सकते है।

रॉयल होली जयपुर और उदयपुर(holi in rajesthan)

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जयपुर और उदयपुर होली पर घूमने जाने के लिए भारत की सबसे अच्छी जगहें में से एक है

जयपुर और उदयपुर होली पर घूमने जाने के लिए भारत की सबसे अच्छी जगहें में से एक है क्योंकि यहाँ होली भारत के अन्य हिस्सों से बिलकुल अलग रॉयल अंदाज में मनाई जाती है। झीलों की नगरी उदयपुर अपने ही शाही अंदाज में होली मनाता है। होली से एक दिन पहले रात में लोग अलाव जलाते हैं और इस अवसर को अच्छे दिन के रूप में मनाते हैं। उत्सव दो दिनों तक खिंचता है। पहले दिन, सिटी पैलेस में शाही निवास से मानेक चौक तक शानदार महल का जुलूस होगा, जिसमें बिस्तरों वाले घोड़े और शाही बैंड शामिल हैं। जिसके बाद होलिका का पुतला जलाया जाता है, होलिका जलाने के साथ शुरू हुआ यह त्यौहार उदयपुर के जगदीश मंदिर में मनाया जाता है। इस उत्सव में संगीत और पारंपरिक गीतों पर नृत्य भी किये जाते है जो इस रंगों के त्यौहार में और रंग बिखेर देते है।बता दे कुछ साल पहले तक जयपुर में होली की शुरुआत परेड के साथ शुरू होती थी, जिसमें विस्तृत रूप से सजे हुए हाथी, ऊँट, घोड़े और लोक नृत्य सड़कों पर होते हैं। लेकिन पशु अधिकार समूहों के दबाव के कारण, 2012 के बाद इस परेड को रद्द कर दिया गया था जिसके बाद से परेड के बजाय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे।

गोवा की होली(holi in Goa)

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होली के त्यौहार पर देश के पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों भी जमकर मस्ती करते हैं

गोवा की होली देश के अन्य हिस्सों की होली से अलग और आकर्षित होने की वजह यहां के खूबसूरत बीच भी है। होली के त्यौहार पर देश के पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों भी जमकर मस्ती करते हुए रंग-बिरंगे-रंगों में रंगने का आनंद लेते हुए देखा गया हैं। होली के त्यौहार पर गोवा में रंग संगीत, पूल पार्टी, डीजे पार्टी और डांस के साथ शानदार जश्न और का मजा लिया जाता हैं जो होली मानने के लिए भारत की सबसे अच्छी जगहें में से एक बनाती है। बता इस वसंत के त्योहारों को गोवा में शिगमो के रूप में जाना जाता हैं और यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। गुलाल और रंग-बिरंगे रंगों का बहुत ही खूबसूरत नजारा गोवा में देखने को मिलता है।

म्यूजिकल होली दिल्ली(musicial holi in dehli)

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दिल्ली एक ऐसी सिटी है जहाँ आप होली मानते हुए युवायों की भीड़ देख सकते है

यदि आप अपने फ्रेंड्स के साथ इस होली में खूब मस्ती करने को प्लान कर रहे है तो इसके लिए दिल्ली से बेस्ट जगह कोई और हो ही नही सकते। दिल्ली एक ऐसी सिटी है जहाँ आप होली मानते हुए युवायों की भीड़ देख सकते है जो खूब मस्ती करते है। मेट्रो शहर होने के नाते, संस्कृतियों और परंपराओं का एक समामेलन यहाँ देखा जा सकता है। दिल्ली में होली समारोहों और पार्टियों का आयोजन भी किया जाता है, जहां कोई भी जैविक रंगों के साथ और नियंत्रित वातावरण में त्योहार मना सकता है। रंगों के त्योहार को चिह्नित करने के लिए शहर भर में दावत, संगीत, नृत्य और ब्लास्टिंग पार्टियां आयोजित भी की जाती हैं जिनमे शामिल होकर अप इस बार की होली को खूब एन्जॉय कर सकते है।

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