आपने शाहरुख खान की फिल्म रईस तो जरूर देखी होगी.जिसमें वह कहते हैं.की गुजरात की हवा में व्यापार है साहेब, मेरी सांस तो रोक लोगे लेकिन इस हवा को कैसे रोकोगे. उनकी यह बात सत्य है. क्योंकि यह गुजरात की हकीकत है. देश और दुनिया के जाने माने व्यापारियों में अधिकतर व्यापारी गुजरात से आते हैं. इस पोस्ट के जरिए हम उन्हीं बिजनेसमैनों के बारे में बताएंगे. जिन्होंने यह साबित कर दिया.की गुजरात की माटी सोना बिजनेस मैन को जन्म देती है.आइए जानते हैं.
धीरूबाई अंबानी(Dhirubhai Ambani)
गुजरात के व्यापर या व्यापारियों की बात हो और धीरूबाई अंबानी का नाम ना लिया जाए,तो व्यापार की बात करना ही बेईमानी होगा. धीरजलाल हीराचंद अंबानी जिन्हें धीरूभाई अंबानी के नाम से जाना जाता है.यह एक भारतीय बिजनेस टाइकून थे जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की थी.अंबानी ने 1977 में रिलायंस को सार्वजनिक कर दिया और 2002 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति 2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी. 2016 में, उन्हें मरणोपरांत व्यापार और उद्योग में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. बाकी अंबानी परिवार आज भी भारत की सियासत से लेकर गुजरात में किस लेवल का वर्चस्व रखता है यह तो किसी से छुपा नहीं है.
गौतम अडानी(Gautam Adani)
गौतम शांतिलाल अडानी एक भारतीय अरबपति उद्योगपति हैं. वह अडानी ग्रुप के अध्यक्ष और संस्थापक हैं, जो अहमदाबाद स्थित एक एमएनसी है. और भारत में पोर्ट्स के डेवलपमेंट और संचालन संभालती है.अडानी अडानी फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से उनकी पत्नी प्रीति अडानी करती हैं.
फिलहाल वह अपनी संपत्ति को लेकर विवादों में हैं.
पंकज रमनभाई पटेल(Pankaj Ramanbhai Patel)
पंकज रमनभाई पटेल एक अरबपति गुजराती बिजनेसमैन हैं.और भारत की पांचवीं सबसे बड़ी दवा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर के अध्यक्ष हैं. पंकज पटेल ने गुजरात विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ फार्मेसी और मास्टर ऑफ फार्मेसी की डिग्री हासिल की, साथ ही मुंबई विश्वविद्यालय से साइंस और लॉ में बीए करने के बाद कैडिला हेल्थकेयर में शामिल हो गए थे.जिसकी स्थापना उनके पिता ने 1952 में विटामिन बनाने के लिए की थी.पंकज रमनभाई पटेल जाइडस अस्पताल के अध्यक्ष भी हैं. जो गुजरात में अस्पतालों की एक बड़ी चेन है.
करसनभाई पटेल(Karsanbhai Patel)
उत्तरी गुजरात के एक किसान परिवार में जन्में करसनभाई ने 21 साल की उम्र में केमिस्ट्री में बीएससी की पढ़ाई पूरी की.और लैब टेक्नीशियन के रूप में काम किया.उन्होंने पहले लालभाई समूह के न्यू कॉटन मिल्स, अहमदाबाद में और फिर राज्य सरकार के भूविज्ञान और खनन विभाग में काम किया. 1969 में करसनभाई ने अपने घर के पीछे बने और पैक किए गए डिटर्जेंट पाउडर को बेचना शुरू किया. यह ऑफिस के बाद का बिजनेस था और सिंगल व्यक्ति की कंपनी थी.इस काम में उन्हें खूब कामयाबी मिली. करसनभाई ने अपनी बेटी के नाम पर अपने डिटर्जेंट साबुन, निरमा की ब्रांडिंग की. तीन साल के बाद, करसनभाई ने अपनी नौकरी छोड़ने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास महसूस किया. करसनभाई ने अहमदाबाद के एक उपनगर में एक छोटी वर्कशॉप में दुकान स्थापित की. निरमा ब्रांड ने जल्दी ही खुद को गुजरात और महाराष्ट्र में स्थापित कर लिया.1995 में करसनभाई ने अहमदाबाद में निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की शुरुआत की, जो गुजरात में एक प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में विकसित हुआ. देखते ही देखते करसनभाई पटेल देश के अमीर हस्तियों में शामिल हो गए.
दिलीप संघवी(Dilip Sanghvi)
दिलीप संघवी कोलकाता में बसे एक जैन परिवार से हैं उनका जन्म गुजरात के छोटे से शहर अमरेली में हुआ. संघवी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया. उन्होंने अपना बचपन और कॉलेज जीवन अपने माता-पिता के साथ कोलकाता के बड़ाबाजार इलाके में बिताया. दिलीप संघवी ने अपने बिजनेस में अपने पिता की मदद करके शुरुआत की जो कोलकाता में दवाओं, मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं की थोक डीलरशिप का काम करते थे. इस काम के दौरान ही उन्होंने दूसरों के बनाए प्रोडक्ट्स को बेचने के बजाय खुद की दवाएं बनाने के बारे में सोचा.उन्होंने अपने वेंचर का नाम सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज रखा. दिलीप संघवी ने मुंबई से कुछ ही दूरी पर गुजरात के अपने मूल राज्य में वापी में स्थित यूनिट में एक मनोरोग दवा का उत्पादन किया. हालांकि संघवी की मेहनत और एनर्जी की बदौलत व्यापार जल्द ही उठा, और 1997 तक, सन फार्मा एक अमेरिकी कंपनी काराको फार्मा का अधिग्रहण करने में भी कामयाब हो गई.
रजनीकांत देवीदास श्रॉफ(Rajinikanth Devidas Shroff)
रजनीकांत देवीदास श्रॉफ जिन्हें रज्जू श्रॉफ के नाम से भी जाना जाता है एक भारतीय बिजनेसमैन और अरबपति हैं, जो यूपीएल लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. फोर्ब्स के मुताबिक 2020 में उन्हें $1.5 बिलियन की कुल संपत्ति के साथ भारत में 93 सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में स्थान दिया गया था. भारत सरकार ने उन्हें 2021 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया. श्रॉफ 2021 में पद्म भूषण प्राप्त करने वाले एकमात्र उद्योगपति हैं. उन्हें भारत का ‘फसल संरक्षण राजा’ माना जाता है.उनका जन्म कच्छ, गुजरात में हुआ था. उन्होंने 1969 में मुंबई में यूपीएल लिमिटेड की स्थापना करके भारत में लाल फास्फोरस निर्माण का बीड़ा उठाया. वह बंबई विश्वविद्यालय से केमिस्ट्री में ग्रेजुएट हैं. उन्हें फोर्ब्स इंडियाज टायकून ऑफ टुमॉरो 2018 में लिस्ट किया गया है.
सुधीर मेहता और समीर मेहता(Sudhir Mehta and Sameer Mehta)
सुधीर मेहता और समीर मेहता टोरेंट ग्रुप के चीफ है इनको अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स से मिलता है, जिसका वैल्यूएशन 3.1 बिलियन डॉलर है. 63 साल पुरानी कंपनी की स्थापना उनके दिवंगत पिता उत्तमभाई नथालाल मेहता ने की थी, जो स्विस फार्मा दिग्गज सैंडोज के सेल्समैन थे.उनकी टोरेंट पावर उनके गृह राज्य गुजरात और दो अन्य राज्यों में 3.8 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों को बिजली प्रोवाइड करती है.जुलाई 2021 में ग्रुप की टोरेंट गैस ने घोषणा की कि वह सीएनजी स्टेशनों के निर्माण के लिए पांच वर्षों में $1.3 बिलियन का निवेश करेगी. समीर के बेटे अमन को जुलाई 2022 में टोरेंट फार्मा के बोर्ड में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था, जबकि सुधीर के बेटे वरुण को एक महीने बाद टोरेंट पावर के बोर्ड में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था.
AIA कंपनी के भद्रेश शाह(Bhadresh Shah of AIA Company)
भद्रेश शाह ने अहमदाबाद शहर में एक आला धातुकर्म (metallurgical) कंपनी एआईए इंजीनियरिंग की स्थापना और संचालन किया. भद्रेश शाह ने 1978 में एक छोटी फाउंड्री शुरू की और इसे $392 मिलियन (राजस्व) की कंपनी में बदल दिया.AIA सीमेंट, खनन और बिजली उद्योगों के लिए उच्च क्रोमियम ग्राइंडिंग पार्ट्स (बिक्री द्वारा) का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है.शाह प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (कानपुर) से धातुकर्म इंजीनियर हैं. आज, AIA हाई-क्रोम कास्टिंग का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और भद्रेश शाह के पास कंपनी में लगभग 58.5% शेयर हैं.
उदय कोटक(Uday Kotak)
उदय सुरेश कोटक एक भारतीय अरबपति बैंकर और कोटक महिंद्रा बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं.1980 के दशक की शुरुआत में, जबकि भारत अभी भी एक बंद अर्थव्यवस्था थी कोटक ने एक बहुराष्ट्रीय से एमएनसी की नौकरी को नकारते हुए, अपने दम पर कुछ शुरू करने का फैसला किया. अगले कुछ सालों में, उन्होंने अपने बिजनेस को फाइनेंशियल सर्विसेज के विभिन्न क्षेत्रों में विविधता प्रदान की, बिलों में छूट, स्टॉकब्रोकिंग, निवेश बैंकिंग, कार फाइनेंस, जीवन बीमा और म्यूचुअल फंड में एक प्रमुख उपस्थिति स्थापित की. 22 मार्च 2003 को, कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड भारतीय रिजर्व बैंक से बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त करने वाली भारत के कॉर्पोरेट इतिहास की पहली कंपनी बन गई.
सैम पित्रोदा(Sam Pitroda)
सत्यन गंगाराम पित्रोदा को सैम पित्रोदा के नाम से भी जाना जाता है. यह एक भारतीय आविष्कारक, टेलीकॉम इंजीनियर और उद्यमी हैं. उनका जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती परिवार में हुआ था. उन्हें लोकप्रिय रूप से भारत के कंप्यूटर और आईटी क्रांति के पिता के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने इंडिया में कम्प्यूटरीकरण लाने में मदद की थी. वह डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान प्रधान मंत्री के सलाहकार भी थे.उन्होंने गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और वड़ोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री पूरी की.