युवराज सिंह से लेकर अर्जुन तेंदुलकर तक इन भारतीय क्रिकेटरों के पिता भी थे महान क्रिकेटर

कहते हैं बच्चा अपने मां-बाप से ही बहुत कुछ जीवन में सीखता है.माता-पिता के जो गुण होते हैं.वही बच्चों में भी होते हैं. इसी कहावत को साबित किया है. भारतीय क्रिकेट टीम के उन खिलाड़ियों ने जिनके पिता ने भी देश के लिए मैच खेले हैं.और कई बार इंडिया को जिताया है.आइए जानते हैं ऐसे क्रिकेटरों के बारे में.

रोजर बिन्नी और स्टुअर्ट बिन्नी(Roger Binny and Stuart Binny)

रोजर ने भारत के लिए 9 साल क्रिकेट खेला है

बी सी सी आई के प्रेजिडेंट रोजर बिन्नी ने भारत के लिए 27 टेस्ट और 72 वनडे मुकाबले खेले हैं. रोजर ने भारत के लिए 9 साल क्रिकेट खेला है.वहीं उनके बेटे स्टुअर्ट बिन्नी ने भी टीम इंडिया के लिए 6 टेस्ट, 14 वनडे और 3 टी20 खेले हैं.

सुनील गावस्कर और रोहन गावस्कर(Sunil Gavaskar and Rohan Gavaskar)

सुनील गावस्कर ने भारत के लिए 125 टेस्ट और 108 वनडे खेले हैं

सुनील गावस्कर ने भारत के लिए 125 टेस्ट और 108 वनडे खेले हैं.उनका नाम विश्व के दिग्गज क्रिकेटर्स में आता है.इसके अलावा उनके बेटे रोहन गावस्कर भी टीम इंडिया के लिए खेल चुके हैं.रोहन ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 10 वनडे खेले हैं.

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इफ्तिखार अली खान पटौदी और मंसूल अली खान पटौदी(Iftikhar Ali Khan Pataudi and Mansool Ali Khan Pataudi)

इफ्तिखार अली खान ने इंग्लैंड और भारत दोनों के लिए क्रिकेट खेला

क्रिकेट में पटौदी सीनियर के नाम से पहचाने जाने वाले इफ्तिखार अली खान पटौदी इकलौती ऐसे क्रिकेटर रहे हैं,जिन्होंने भारत और इंग्लैंड दोनों के लिए क्रिकेट खेला.पटौदी सीनियर ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर एशेज सीरीज के अपने पदार्पण टेस्ट मैच में शतक बनाया था। उन्होंने इंग्लैंड और भारत दोनों के लिए तीन-तीन टेस्ट मैच खेले हैं.उनके बेटे मंसूर अली खान तो उनसे भी आगे निकल गए.मंसूर अली खान पटौदी मात्र 21 साल की उम्र में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने और 40 टेस्ट मुकाबलों में उन्होंने भारत का नेतृत्व किया.उनकी ही कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 1967 में न्यूजीलैंड को उसके घर में हराकर विदेशी सरजमीं पर अपनी पहली जीत दर्ज की थी.

लाला अमरनाथ और मोहिंदर अमरनाथ(Lala Amarnath and Mohinder Amarnath)

मोहिंदर अमरनाथ भारत के सर्वश्रेष्ठ हरफनमौला ​क्रिकेटरों में से एक हैं

लाला अमरनाथ ने भारत के लिए 24 टेस्ट मैच खेले और सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ता, कोच और मैनेजर की भूमिकाएं भी निभाईं.उनके पुत्र मोहिंदर अमरनाथ भारत के सर्वश्रेष्ठ हरफनमौला ​क्रिकेटरों में से एक हैं. उन्होंने 1983 में भारत की पहली विश्व विश्व कप जीत में अहम भूमिका निभाई.मोहिंदर अमरनाथ ने भारत के लिए 69 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 11 शतकों के साथ 4378 रन बनाए.उन्होंने 85 एकदिवसीय मुकाबलों में 2 शतक और 13 अर्धशतकों के साथ 1924 रन बनाए.

विजय मांजरेकर और संजय मांजेकर(Vijay Manjrekar and Sanjay Manjrekar)

विजय ने भारत के लिए 1952 में पदार्पण किया

विजय मांजेकर को तेज गेंदबाजी का बेहतरीन अंदाज में सामना करने वाले भारत के प्रमुख क्रिकेटरों में गिना जाता है.विजय ने भारत के लिए 1952 में पदार्पण किया। उन्होंने अपने करियर में खेले गए 55 टेस्ट मुकाबलों में 7 शतकों और 15 अर्धशतकों की मदद से 3208 रन बनाए.उन्होंने अपने करियर में खेले गए 55 टेस्ट मुकाबलों में 7 शतकों और 15 अर्धशतकों की मदद से 3208 रन बनाए.उनके पुत्र संजय ने भारत के लिए 37 टेस्ट (4×100, 9×50) और 74 एकदिवसीय (1×100, 15×50) मुकाबले खेले, जिसमें उन्होंने क्रमश: 2043 और 1994 रन बनाए.

योगराज सिंह और युवराज सिंह(Yograj Singh and Yuvraj Singh)

विश्व क्रिकेट को युवराज सिंह के रूप में एक विस्फोटक बल्लेबाज मिला

युवराज के पिता योगराज ने घरेलू क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को प्रभावित किया था.और भारतीय टीम में स्थान बनाने में भी कामयाब रहे थे. लेकिन, वह सिर्फ एक टेस्ट और 6 एकदिवसीय मुकाबलों में ही देश का प्रतिनिधित्व कर सके.योगराज ने अपने असफल रहे क्रिकेटिंग करियर से सीख लेते हुए अपने बेटे युवराज को एक बेहतरीन क्रिकेटर बनाने का संकल्प लिया और उसे पूरा भी किया. विश्व क्रिकेट को युवराज सिंह के रूप में एक विस्फोटक बल्लेबाज मिला.युवराज सिंह ने भारत को दो विश्व कप खिताब (2007 में T20 WC और 2011 में ODI WC) जीताने में अहम भूमिका निभाई.

सचिन तेंदुलकर और अर्जुन तेंदुलकर(Sachin Tendulkar and Arjun Tendulkar)

सचिन के पुत्र अर्जुन ने भी पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए क्रिकेट को अपने करियर के रूप में चुना है

विश्व क्रिकेट में भगवान का दर्जा प्राप्त कर चुके मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बारे में क्या कहना. वह क्रिकेट के सर्वकालीन महान खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं.सचिन के पुत्र अर्जुन ने भी पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए क्रिकेट को अपने करियर के रूप में चुना है.अर्जुन एक हरफनमौला खिलाड़ी हैं और बाएं हाथ से तेज गेंदबाजी के साथ बाएं हाथ से ही बल्लेबाजी भी करते हैं.अर्जुन अपने प्रदर्शन के दम पर भारतीय टीम में जगह बना पाएंगे या नहीं, यह तो भविष्य के गर्व में है.

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