श्री पार्श्वनाथ भगवान जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर है. तो, चलिए देख लें कि आप पार्श्वनाथ भगवान का कौन-सा स्तोत्र कर सकते हैं नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं, शतेन्द्रं सु पूजैं भजै नाय शीशं ॥मुनीन्द्रं गणेन्द्रं नमो जोडि हाथं, नमो देव देवं सदापार्श्वनाथ। ॥1॥ गजेन्द्रं मृगेन्द्रं गह्यो तू छुडावे, महा आगतै नागतै तू बचावे ।महावीरतै युद्ध में तू जितावे, महा रोगतै बंधतै तू छुडावे ॥२॥ दुखी दुखहर्ता सुखी सुखकर्ता, सदा सेवको को महा नन्द भर्ता ।हरे यक्ष राक्षस भूतं पिशाचं, विषम डाकिनी विघ्न के भय अवाचं ॥३॥ दरिद्रीन को द्रव्य के…
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महावीर जयंती विशेष
महावीर भगवान का जन्मकल्याणक महोत्सव हर बार की तरह इस बार भी बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया ।आज के वातावरण में निरंतर बढ़ते हुए अपराध,भ्रष्टाचार,अंतरराष्ट्रीय अराजकता और विश्वयुद्ध जैसे माहौल से हमारी मानसिक शांति और सुकून खो चुका है,जिस प्रकार जीवन जीने के लिए हवा,पानी और भोजन की आवश्यकता होती है ,उसी प्रकार स्वस्थ मानसिकता और आत्मिक विकास के लिए जीवन में धर्म की भी आवश्यकता होती है। महावीर भगवान जिन्होंने “जियो और जीने दो,अहिंसा परमो धर्मः और अनेकांतवाद” जैसे अनेक संदेश जन-जन तक पहुंचाए है,…
Read Moreमेरी भावना | Meri Bhavna Hindi
मेरी भावना एक जैनो धर्म का पालन करने वालो के लिए बहुत ही मुख्या भावना होती है | मेरी भावना के रचयिता सुप्रसिद्ध लेखक कवि पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” जी है | जिसने राग द्वेष कामादिक जीते सब जग जान लियासब जीवोको मोक्षमार्ग का निस्पृह हो उपदेश दियाबुध्ध, वीर, जिन, हरि, हर, ब्रम्हा, या उसको स्वाधीन कहोभक्ति-भाव से प्रेरित हो यह चित्त उसी में लीन रहो ||1|| विषयो की आशा नहि जिनके साम्य भाव धन रखते हैंनिज परके हित-साधन में जो निश दिन तत्पर रहते हैंस्वार्थ त्याग की कठिन…
Read Moreभक्तामर स्तोत्र संस्कृत | Bhaktamar Stotra in Sanskrit
श्री भक्तमार स्तोत्र संस्कृत जैन समुदाय का सबसे प्रसिद्ध स्तोत्र है। भक्तमार स्तोत्र को सातवीं शताब्दी ईस्वी में आचार्य मनतुंगा द्वारा संस्कृत में 48 श्लोक लिखे गए हैं। भक्तमार स्तोत्र को आचार्य मनतुंग ने सलाखों में बैठे इस ग्रन्थ को लिखा था साथ ही इस ग्रन्थ की महिमा है की जैसे जैसे आचार्य मांगतुंग एक एक पद लिखते गए और उनकी सलाखों के ताले अपने आप खुलते चले गए थे | भक्तामर-प्रणत-मौलिमणि-प्रभाणा –मुद्योतकं दलित-पाप-तमोवितानम् ।सम्यक् प्रणम्य जिन पादयुगं युगादा-वालंबनं भवजले पततां जनानाम्॥ १॥ यः संस्तुतः सकल-वाङ्मय- तत्व-बोधा-द्-उद्भूत- बुद्धिपटुभिः सुरलोकनाथैः।स्तोत्रैर्जगत्त्रितय चित्त-हरैरुदरैःस्तोष्ये…
Read Moreभक्तामर स्तोत्र हिन्दी | Bhaktamar Stotra in Hindi
श्री भक्तमार स्तोत्र जैन समुदाय का सबसे प्रसिद्ध स्तोत्र है। भक्तमार स्तोत्र को सातवीं शताब्दी ईस्वी में आचार्य मनतुंगा द्वारा संस्कृत में 48 श्लोक लिखे गए हैं। भक्तमार स्तोत्र को आचार्य मनतुंग ने सलाखों में बैठे इस ग्रन्थ को लिखा था| भक्त अमर नत मुकुट सु-मणियों, की सु-प्रभा का जो भासक।पाप रूप अति सघन तिमिर का, ज्ञान-दिवाकर-सा नाशक॥भव-जल पतित जनों को जिसने, दिया आदि में अवलंबन।उनके चरण-कमल को करते, सम्यक बारम्बार नमन ॥१॥ सकल वाङ्मय तत्वबोध से, उद्भव पटुतर धी-धारी।उसी इंद्र की स्तुति से है, वंदित जग-जन मन-हारी॥अति आश्चर्य की…
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