National War Memorial (राष्ट्रीय युद्ध स्मारक) भारत सरकार द्वारा अपने सशस्त्र बलों को सम्मानित करने के लिए निर्मित एक स्मारक है। यह मेमोरियल नई दिल्ली के केंद्र में स्थित इंडिया गेट के आसपास के क्षेत्र में बनाया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इसी साल 25 फरवरी को इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) का उद्धाटन किया था।
इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में भारत-चीन युद्ध, 1947 और 1965 में भारत-पाक युद्धों, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1987 में सियाचिन,1999 में कारगिल संघर्ष और श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के संचालन के दौरान मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि के रूप में बनाया गया है। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है।
चक्रव्यूह की संरचना से प्रेरणा लेते हुए 40 एकड़ में बनाये गये इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में चार संकेंद्रित चक्र शामिल हैं प्रत्येक चक्र सशस्त्र बलों के विभिन्न मूल्यों को दर्शाता है। अमर चक्र, वीर चक्र, त्याग चक्र और रक्षा चक्र नामक इन 4 चक्रो में 25,942 शहीदों के नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं।
क्या है इन चार चक्रो का महत्त्व
- अमर चक्र (अमरता का चक्र): छह भुजाओं (हेक्सागोन) वाले आकार में बने मेमोरियल के केंद्र में 15. 5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है जिसमें अमर ज्योति दीप्तमान रहेगी। दर्शाती है की सैनिको के बलिदान को भारतीय नागरिको द्वारा हमेशा याद किया जायगा।
- वीरता चक्र (वीरता का चक्र): अमर चक्र को घेरता हुआ दूसरा चक्र बनाया गया है जिसका नाम वीरता चक्र है। ‘वीरता चक्र’ सेना, वायु सेना और नौसेना की छह महत्वपूर्ण लड़ाइयों के बारे में है, जिन्हें कांस्य में चित्रित किया गया है। प्रत्येक कास्य चित्र का वजन 600 से 1000 किलोग्राम के बीच है साथ ही उस चित्र से जुड़े युद्ध के बारे में पूरा विवरण भी दिया गया है।
- त्याग चक्र (बलिदान का चक्र): इसके बाद तीसरा त्याग चक्र है जो की ग्रेनाइट ईटो की 2 मीटर लम्बी ऐसी 16 दीवारों से बना हुआ है। प्रत्येक ईट पर स्वतंत्रता के बाद से अब तक जितने भी सैनिक शहीद हुए है उनके नाम अंकित है। ‘त्याग चक्र’ में लगभग 25,700 सैनिको के नाम लिखे जा चुके है।
- रक्षक चक्र (सुरक्षा का घेरा): सबसे बहरी चक्र पर ‘सुरक्षा चक्र’ है, जिसमें 695 पेड़ हैं, जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शाते हैं।
60 साल बाद पूरा हुआ वॉर मेमोरियल का सपना
पहली बार 1960 में नैशनल वॉर मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव सशस्त्र बलों की ओर से दिया गया था जिसे गंभीरता से नहीं लिया गया। कई सालो तक लगातार मांग के बाद 2006 में रक्षा मंत्रालय ने इसे इंडिया गेट के पास स्थापित करने का निर्णय लिया जिसे शहरी विकास मंत्रालय ने विरासत का क्षेत्र बोलते हुए अस्वीकार कर दिया। 2012 में युपीए सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों की इस लम्बे समय से की जा रही मांग को मान लिया और सन 2015 में मोदी जी के कार्यकाल में इसका निर्माण शुरू हो गया।
सन 2016 में इस युद्ध स्मारक और युद्ध संग्रहालय की डिज़ाइन के लिए विश्व स्तरीय प्रतियोगिता MyGov.in पोर्टल के माध्यम से आयोजित की गई थी और इसका परिणाम अप्रैल 2017 की शुरुआत में घोषित किया गया था। चेन्नई स्थित आर्किटेक्ट्स, WeBe Design Lab के प्रस्ताव को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के लिए विजेता घोषित किया गया था वही मुंबई के एक स्टूडियो एसपी प्लस ने युद्ध संग्रहालय के लिए डिज़ाइन में जीत हासिल की। जिसके बाद इसका निर्माण प्रारंभ हुआ। 40 एकड़ में बने इस युद्ध स्मारक की लागत 176 करोड़ रुपये आई है और यह रिकार्ड एक साल में बनकर पूरा हुआ है। इसी साल 25 फरवरी 2019 को इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) का उद्धाटन पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा किया था।
क्यों है National War Memorial, India Gate से भी खास
अभी तक दिल्ली में सिर्फ एक ही युद्ध स्मारक (इंडिया गेट) था, जो की प्रथम विश्वयुद्ध और अफगान लड़ाई के दौरान शहीद हुए 84 हज़ार भारतीय सैनिकों की याद में ब्रिटिश हुकूमत ने बनवाया था। इसकी नींव 1921 में एडवर्ड लुटियन्स द्वारा रखी गई थी जो 12 फरवरी 1931 को बनकर तैयार हो गया था। यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों और अधिकारियों सहित 13,300 सैनिकों के नाम, गेट पर उत्कीर्ण हैं। वहीं दूसरी ओर, इस National War Memorial को उन 25,942 जवानों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है। इस पर भी शहीद जवानों के नाम अंकित हैं।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की खास बाते
नेशनल वॉर मेमोरियल आम जन के लिए हर दिन खुलेगा। यहां प्रवेश मुफ्त रखा गया है। मुख्य क्षेत्र और परम योद्धा स्थयल के लिए समय निश्चित है । खास दिनों में फूल चढ़ाने के समारोह का आयोजन भी होगा।
हर रोज सूर्यास्त से ठीक पहले सैन्य बैंड के साथ सभी शहीद को सलामी दी जायगी जिसे रिट्रीट सेरेमनी कहा जाता है । रविवार सुबह 9.50 बजे चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी होगी जो करीब आधे घंटे चलेगी।
नेशनल वॉर मेमोरियल के पास ही 21 परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं की कांस्य से प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।
इस ऐतिहासिक स्मारक के चारो और आर्टिफिशल लाइटिंग लगाई गई है जिसका रात के समय बहुत ही अद्भुत नजारा होता है इसके साथ ही यहाँ वर्किंग प्लाजा भी है।