उजड़ी हुई रुतों में भी धानी रही हूँ मैं,
सहरा में इक बहार सुहानी रही हूँ मैंहोंटों पे उनके आयी तो मुस्कान ले के मैं,
आँखों में भी ख़ुशी का ही पानी रही हूँ मैंमैं वो नहीं जो रोल निभाए कनीज़ का,
आयी तो फिर कहानी की रानी रही हूँ मैंआसां नहीं वजूद कुचल दे कोई मेरा,
दुनिया को जानती हूँ सयानी रही हूँ मैंउसके दिनों में रंग भरे हैं बहार के,
रातों में उसकी रात की रानी रही हूँ मैंसाँसों में मेरी रोज़ महकता रहा है वो,
सपना जैन
उसकी रगों में बन के रवानी रही हूँ मैं